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आ. जिनहर्षसूरि-विरचित
गुणमाला रांणी सुता जी, शृंगारसुदरत रे नाम । पांच सखी छइ तेहनइ जी, जाणे सुखविश्राम ॥१०॥कु० पंडिता १ अवर विचक्षणा जी २, प्रगुणा ३ निपुणा ४ तेम । दक्षा ५ए पांचे सखी जी, वधतउ जेहन उ प्रेम ।।११।।कु. 2समस्य जेह अम्ह पुरिस्यइ जी, वरिवउ ते वरराज । तास समस्या मन तणी जी, कोइ न पूरई राज ॥१२।।कु० वयण तेहना सांभली जी, हार-प्रभावई रे जाय । रूप निरखि कुमरी वरी जी, कहउ समस्या चित लाय+ ॥१३॥कु० कुमरी प्राह-रवि पहिली ऊगंत । कुमर आहजीवंतां जग जस नही, जस विणि काइ जीवंत । जे जस लेई आथम्या, ते रवि पहिली ऊगंत ॥१॥ पंडिता' वचन-मनवंछियफल होइ । कुमारअरिहंत केरा नवपद मय, निय मन घरई10 जि कोई । निश्चय11 ते नर नारीयां, मण-वंछिय-फल होई ।।२।।
अथ विचक्षणा पठति-अवर म झखहू आल। कुमार
अरिहंत देव सुसाह गुरु, धम्मु ति दया विसाल । मंत्र 12उत्तम नवकार पर, अवर म झखहु आल ॥३।।
प्रगुणा पठति-करहु सफल अप्पाण । कुमारआराहउ धुरि देव गुरु, द्यऊ संपतइ13 दान । तव संजम उवयारडउ, करहु सफल अप्पाण ॥४॥
निपुणा पठति-मितउ लिख्यउ निलाडि । कुमाररे मन अप्पउ खंच करी, चिंता जाल म पाडि । फल तितउ ही 14पमायइ, 15जितउ लिख्यउ 16निलाडि ।।५।। दक्षा पठति-तसु तिहुअणजण दास ।
1 • सुंदरी B 2 समस्या जे अम्ह पूरिस्यै B 3 राजि B 4 • लाइ B 5 रेवि A 6 तंग B7 सेती A8 पंडितो B9 .पद्दमय B 10 घरय B 11 निश्चि B 12 तम A 13 संपद दाण B 14 पामीया B 15 जेतउ B 160लाड B
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