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________________ लघु श्रीपालरास संवरामंडप मांडीयउ जी, मिलीया बहुला भूप । 'पुहुत उ अचरिज' जोइवा जी, खूधान उ कीयउ रूप ॥९८॥सु० पूठउ उंचउ जेहन उ जी, उर सांकडउ प्रदेश । नासा जेहनी त्रीपडी जी, माथइ कपिला केस ॥९९||सु० डीलइ दूबउ कूचडउ जी रे, मोटउ माथउ जास । +लंवनलीगानउगली (?) जी, रूप वणायउ खास ॥२०॥सु० बईठा छइ जिहां राजवी जी, जाणे देव कुमार । खूधउ पणि आवी करी जी, ऊभउ राऊ तिणि वार ।।१।।सु० कहउ खंधा किम आवीया जी, राजाविया माहि आज । जिणि कारणई बईठा तुम्हे जी, ऊभऊ छु तिणिं काज ॥२॥सु० हंसीया सगला राजवी जी, भली रे कही तइ बात । कुमरी आवी तेटलइ जी, वरमाला लेइ हाथ ॥३॥मु० सीपानउ रूप मूलगउ जी, देखई कुमरी जाम । वरमाला कंठई ठवी जी, धमधमीया नृप ताम ॥४॥सु० काइ मरइ रे कूबडा जी, नाखि परी वरमाल । कहा जिनहरख म खीजिस्य जी, भाग्य विना भूपाल ||५||सु. । इम कहि ऊख्या मारिवा, बुध कीयउ संग्राम । भूप सहु10 नासी गया, रही नही काई माम ॥६॥ विजय पराक्रम देखि नई, कहई प्रगट करि रूप । . ___ रूप प्रगट कीयउ आपण उ, परणाव्यउ तिहां भूप ॥७॥ १७. ढाल : रे जाया तुझ विणि घडी छ मास ए देसी। सुख विलसंता अन्यदा जी, परदेसी नर ताम । कर जोडी आगलि रही जी, कुमर भणी कहई आम |८|| कमर जी सांभलि माहरी रे वात । 11देवकीपाटणनउ धणी जी, 12धरापाल सुविख्यात ॥९॥कु०।। 1 मंडण B 2 पहु B 3 अचरज B 4 गावनउ B 5 पिणि B 6 वीयां B 7 तेतले B 8 लई B 9 ऊठ्या ततखिणि मारिवा B 10 सहू B 11 देवका• B 12 घरी. A Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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