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________________ ५६ आ. जिनहर्षसूरिविरचित आवी देवी चक्केसरी, हाये चक्र भमादई खरी । रे रे बीर महड पातकी, एनई सजा च धवल मित्र वीरें झालीयउ, कूआथंभर घालीयो । ऊंचा 1 पगनई नीचो सीस, इम टांग्यऊ देवी धरि रीस ||३७|| कांप्य धवल आव्यउ तिहां घाई, राखउ मयणा माय । सरण तुम्हारई हुं आवीयउ, तुम्ह' चरणे मइ चित्त लावीयउ ||६८|| देवी कह रे पापी दूठ 3, आयउ मयणा-सरणइ ऊठि । 4 मूक्यउ हिवई तुझनइ जीवतउ, पणि तुं हणिवा सरिखउ हतऊ ||६९॥ कर जोडी मयणा कहर माय, सार करी सेवकनी आइ । विसमी वरियां करिज्यो सार अम्हनई छ साहरउ आधार ॥७०॥ " धातकी ॥६६ ।। दूहा वच्छा वल्लह तुम्ह7 तणऊ, गिरुई रिद्धि समेउ । मासभितर निच्छईण, मिलिस्यइ घरे म खेऊ ॥१॥ एम भणेविणु चक्कहरि, परिमलगुणहि विसाल । मयणह कंठई पक्खिवई, सुरतरु- कुसुमह 10 माल ||२|| तुम्हह दुद न देखिस्यह, मालह तणइ प्रमाण | एम भणेविणु चक्कहरि, देवि गई निय ठाण || २ || ॥ १४ दाल पाली वाहण जई कूफण उत्तरथा, साक्षी वस्तु क्रियाणे भरथा । धवल अनोपम लेई भेटणउ, भेट्यउ नृप लाउ आदर घणउ ॥७१॥ उठता दिवराव पान, थई यायत पासई राजान (१) । ओलखीय भवलाई तत्काल ए तक सही कुमर श्रीपाल ॥७२॥ हीडा माहे ऊठी साल कोई 1 उपाय करुं ततकाल । जिम तिम करि टालु ए साल, तर थईय जिनहरख निहाल ||७३ || 12 दूहा सेठ पासि आन्य तिहां, बूंब तणउ परिवार | आदर देई इम कह Jain Education International काम करउ निरपार || ७४|| 1 उंचा A 2 तुम B 3 रूठ A4 का B 5 वरीयां B 7 तुम B 8 दिवस ने छहउ A 9 घर B 10 कुसमह B 11 माय B 13 गायन सुगऊ विचार B For Personal & Private Use Only 6 ताहरउ छैB राजाना A 12 www.jainelibrary.org.
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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