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लघु श्रीपालरास
नाहलीया निहेजउ रे थई अम्ह परिहरी रे, जीवेवा न दीसे कोई घाट रे । पीहरीयउ रह्यउ रे कंता वेगल उ रे, सासरीयानी जाणु नही वाट रे ।।५४॥प्रि.
अबलाने आंखे1 रे पावस उल्हरयउ रे. वरसे आंसूडां जलधार रे । रहइ रे जलधार त उ किण ईकिं समई रे, पिणि आंसूडान रहे लिगार रे ॥५५॥ प्रि. कंत-विहूणी रे जगमां कामिनी रे, कांइ सिरजी किरतार रे । पग पग आवई रे माथई मेहणउ रे, लागु तेहनउ सहु संसार रे ॥५६॥ प्रि. मननां मनोरथ मनमोहे रह्या रे, आसडी तउ थईय निरास रे । दिवस तउ जास्ये रे कंता जी दोहिलउ रे, रयणी तउ होईस्ये छ मास रे ॥५७||प्रि.
आवीनई मिलउ नई रे गोरीरा वालहा रे, वीछडीयांनऊ विरह निवारि रे । तुम्ह' विणि दीठां रे जल सचतउ नही रे, हिवई किम रुचिस्यई आहार रे॥५८॥प्रि.
थोड पाणी रे मच्छी जिम टलवलइ रे, दह दिसिं जोवइ रोवह बाल रे।। कहई जिनहरख महा दुख नेहलउ रे, झूरी ईम अबला इणि दाल रे ॥५९॥प्रि.
धवल पासिं आवी कहई, म करउ नारि विलाप । वयण मानिज्यो माहरउ, मिटिसि दुख संताप ॥६०॥ प्रि. जीव तणी परि राखिसु', सुख देस्यु निसि-दीस । कोडि गुन्हे विरचिस' नही, जउ करिस्यई जगदीस ॥६१।। प्रि. बोलंत उ? जाण्यउ तुरत, ए पापीना काम । अम्ह कारणि नारव्यउ जलधि, प्रीतम सुखनउ ठाम ॥६२।। प्रि.
__१३ ढाल : चउपईनी
इणि अवसर थयउ घोर अंधकार, वरसेवा लागउ जलधार । झबकई बीज धडूकई गाज, त्रटकइ कटकइ करइ आवाज ॥६३॥ पवन उधाण चडया असमान, वाहण डोलइ जिम तरुपान । ऊपडीया सायर कल्लोल, जाणे जग थास्यइ जलबोल ॥६४॥
खांडा हत्था डमरू डाक, प्रगटया भैरव लेता छाक । मारि मारि करता हाकता, 10दोषी 11जण साम्हउ ताकता ॥६५॥
. 1 आंखें C 2 जलधर रातो किण इक समैं रे C 3 तुम वणि B 4 रुचतउ B 5 मछी B6 मेटिसि B7 देखें B8 चिसि B9 बोलतो B 10 दोसा A 11 जाण B
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