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________________ आ. जिनहर्षसूरि-विरचित धवलइ निज सुड्ड पठाया, श्रीपाल देखी ना धाया । सुणि रे मानव परदेसी, तुझ धवल सेठ बल देसी ॥९६॥ मूछे वल घालि पयंपद, कां रे मूरख इम जंपइ । सीपानी बल किम दीजई, बल धवल तणी जई को जइ ॥९७।। वीट्यउ सुहडे श्रीपाल, कहइ धवल थई विकराल । स्यु जोवउ मारउ मारउ, जूध मांड्य उ सबल करारउ ॥९८।। श्रीपाल कहउ किम भागह, जसु अंगह शस्त्र न लागइ । सुहडानउ कीध कुवेस, लुणीया नासी सिरकेस ।।९९॥ चित्त धवल तणउ चमकाण उ, नर विद्याधर सपराणउ । इणि-सुन चइ कोई प्राण, पाए. लागउ तजि माण ॥१०॥ वाहण मुझ चालइ दरीयई, बल धारी ते विधी करीयई। भाखड़ तव कुमर सुभाख, दीनार दीयइ मुझ लाख ॥१॥ वाहण चालइ ते ततकाल, सेठ मान्यु वयण रसाल । प्रवहण चढि सेठि कुमार, जपीयउ नवपद तिणि वार ।।२।। चाल्या वाहण जिम पंखी, गउडी तिहां नाम असंखी(?) । दीधा मिणि लाख दीनार, जिनहरख थयउ जस सार ॥३॥ दहा धवल कहइ करउ चाकरी, स्यु लेस्यउ कहउ तेह । मुझनइ देज्यो तेतलउ, सुभट सहु ल्यइ जेह ॥४॥ धवल सीस धूणी कहइ, खप नही तुमथी काइ । भाड उ देई बइठ310 कुमर, रतनदीप]] भणी जाई ॥५॥ बब्बर कुल12 आवीया तिहां, तिहां नांगल्या जिहाज । दाण अहेवा कारणई, आव्यउ बब्बर राज ॥६॥ दाण सेठ13 आपई नही, मांडी314 तिणि संग्राम । धवल-सुभट नासी गया, ग्राउ सेठनइ ताम |॥७॥ 1 परदेशी B 2 बल B3 करारो B4 नाशी B 5 चाल तत. B6 वचन B गणि B 8 जयकार B 9 .ची B 10 B में तृताय चरण नहीं है। 11 ०दीव B 12 कले B 13 सेठ B 14 मांड्य: B Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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