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________________ लघु श्रीपारास उजेनीपुर माहि भिन्हे सुखसु रहर, 1 हिवt 2 मयणा नी माय माय रीसाय इसु 3 कहई । Jain Education International कांत कीयउ अन्याय सुता सुता नाखी कृपा, मास कि नयणे जल चूबई 5 मातउ पावस रीसावी नित्र रूपसुंदरी थई आवी बिनवर गेह नेह ऊलट घण उ, दीठऊ कुमर सुरंग अनंग सुहामण 7 ॥ ७१ ॥ भ्रात घरे आवी रही, पीण किं 'मयणा दुख दही । अवर भज्यउ इणि कोई सही कोढी तज्यड, बिग बिग एहन आचार किरि' निरमल कुल लग्यउ । 10 मंयणां निसुणी माय वयण एहवु कहह 11, तुज्झ जमाई एह निरखि जिम सुख हद्द 12 ॥७२॥ रोग गयउ जिनधर्म पकी टलि वेगलड, मत जाणउ कोई अन्य हीयई मत जलफलउ एहवड़ 13 पासह आवि कुमर नी मायकी 14, कहइ 15 धन्य मयणां 16 नारि घरि पति धन्य 1|00|| मृत्यु थयउ अधगाल 21 पिता अजितसेन नृप22 भ्रात कि जेणी कुखड़ी ॥७३॥ चंपा 20 सिंहरथ राय राणी कमलप्रभा, सुत जापक श्रीपाल बोलायड 1 नीरोगी दीपायठ कुल 17 पणि धन्य पिता धन्य माय कि रूपसुंदरि कई 19 कुमर तणी माता भणो, किम थयउ एह नीरोग कथा कहउ भापणी ॥७४॥ कीयठ, एहनउ 18 जीयड । सहु सभा । श्रीपालनउ, घातक बालनउ ॥७५॥ बालनउ 1 सुखे रहें B 2 हिने मेगा B 3 ईसुं कहे B 4 कूभई B 5 चूभई B 6 मैंगा B7 •मणो B 8 एह बिग 8 9 कि B 10 मैण सांभलि B 11 है B 12 बडे B 13 एहवे पास B 4 मावडी B 15 कहै B 16 माय घरी जिणि कूखडी B 7 एणि B 18 बायड A 19 कहे B 20 सिंघ A 21 गालि B 22 नाव A For Personal & Private Use Only ४७ www.jainelibrary.org
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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