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________________ लधु श्रीपालरास आसू भरि निज नईण, मयणा भारवइ2 वाण । एहवु स्यु' कहउ ए, मन जाणी रहऊ ए ॥५१॥ कलवती जे थाय:, न करई4 एह अन्याय । सील तजई नही ए, गुणवंती सही ए ॥५२॥ दीघउ कह जे करतार, माहरई जिनहरखसु ए, तुझने जे भरतार । निरखसु ए ॥५३॥ इम कहि मयणासुदरी10, पालई सील11 रतन्न । प्रीतम . नी सेवा करई12, सहु कहइ धन धन्न ॥५४॥ प्रह विहसी पूरव-दिसइ 13, बोल्या पंखी बात । राति गई रवि उगीयऊ, प्रगट थयउ परभात ॥५५॥ ५. ढाल-तप सरिखउ जग कोन । ए देशी 14 मयणा कर जोडी कहइ15, सुणि प्रीतम मुझ वात । मोरा साजन । जईयह16 जिनवर भेटिवा, करीयइ17 निरमल गात ॥५६॥मो । बे जण आव्या18 देहरइ, भेदया रिषभ जिणद । मो । स्तवती19 जिनवर कोटिथी20. उछली भाल अमद ॥५७॥मो । जिनकर फल पिणि उछल्यउ, 21मयणा भाखड हेव ।मो। फल प्रीतम तुम्हे संग्रहउ, माल ग्रही स्वयमेव ॥५॥मो । प्रीय22 तुम्ह रोग सहु23 गया, तूठा24 श्री जिनचन्द ।मो। बाहिरि आब्या25 दंपती, वांद्या मुनि मुनिचंद ॥५९॥मो। कर जोडी कहइ26 सुदरी, भाखउ कोई उपाय 127 रोग टलह28 प्रीउ देहथी, जिन शासन दीपाय ॥६॥ 1 आंसू B2 भाख वईण B3 थाई B 4 करै B 5 याई BF तले B7 सतवंती B 8 माहरै ते 9 कहैं B 10 मयणी B 11 शील रत्न B 12 करै । सह कह B 13 दिसे B 14 नि व्रीत A 14 ढाल-नणदल री B 15 कहैं B 16-17 यह B 18 .त्यां देहरै B 19 वतां B 20 कोट B 21 मैणा भाख B 22 प्रिउ B23 सह B24 तुझ B 25 आध्यां B 26 कहैं B 27 मोरा ऋषिजी 28 टल प्रीतम तण: B Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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