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लघु श्रीपाल स
दूहा
न जोवन डाहापणु, रोग रहित निज देह |
मन बल्लभ मेलावडउ', नृप आदिक हरख्या + सहू, पूरि समस्या नृप कहर, विनय विवेक प्रसन्नता, सिवपद नउ मेलावडउ 10,
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पुण्यई 2 लहीय 3 एह ॥ ११ ॥ सांभलि वचन 5 रसाल | तु7 पणि मयणा बाल ||१२|| सीलसुनिर्मल देह । पुण्यइ 11 लहीय एह 12 || १३ ||
२. ढाल : जी रे सामि समोसर्या ए देसी 13 |
वचन 14 सुणी 15 कुमरी तणां 10, हरख्या माय 17 तायो रे । बुद्धि-विवेक - विनयवती, दीठी आवई 18 दायो रे ॥ १४ ॥
जी रे जी रे बईयह भामणइ 19, राजा इम 20 बोलई21 रे । वयण रयण सारिखा 22 कहुं, तुम्हे 23 सरसति तोलइ 24 रे ॥ १५ ॥ जी ॥ कहउ रे 25, सुता सुर- सुन्दरी 26, वर 27 तुमनइ सुहाय रे । बाप - करमी 28 थाइ रे ॥ १६ ॥ जी ॥ अरिदमण कुमारो रे ।
ए भरतारो 31 रे ॥ १७ ॥ जी ॥
ते परणाऊं तुझ भणी, तुम सुपसायइ तातजी, घणु रे घणु कहीयइ 29 किसु, पामु राय खुसी थइ 32 तेहसु, मेल्यउ वीवाहो रे । मयणा नई 3 3 राजा कहई 34, जे वर ताहरइ ३० हु तुझ नई 3 8 सुखणी 39 करूं, तु छई गुण नी पेटी रे ॥ १९ ॥ जी ॥
तुम नई 35 कुण नाही रे ॥ १८ ॥ जी ॥ मनगमंई 37, हुं परणाऊँ बेटी रे ।
मयणा 4 कहई सुणि 4 ताजी, स्युं पडीया छउ42 भर्मई रे ।
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सुख दुख 43 प्राणी भोगवंइ44, सहु निज निज कर्मइ 45 रे ॥ २० ॥ जी ॥
1 वडओ B 2 पुण्यइ B 3 व्यहं B 4 व्या B 5 वचन B 6 कहै B
पुन्यै B 12 लही ऐह
7 तुपिणि B 8 प्रसन्न A9 नओ B 10 ० वडओ B 11 B13B प्रत में दाल की देसी अन्य लिखी है— जणिणी मने आशा घणी देसी एहनी । 14 वचन B 15 कुमरी B 16 तत्ता B 17 माय ने तायो B 18 आवें B 19 माम B 20 इम B 21 बोले B 22 सरिखां कहयां B 23 तम्हे B 24 तोले B
25 रें B 26 सुंदरि B 27 तुम्ह नहीं सुहाय B 28 कर्मी थाय
B
34 कहै B
30 पामुळे B 31 भतारो B 32 थई B 36 ताह B 37 •मह B 38 नै B 42 छंड भर्मई B 43 प्रांणी B 44
39 सुखि० B 40 मयणं गवै B 45 कर्मs B
33 नैं
४१
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B 29 ०यह B
35 नई कुंण B A 41 सुगड B
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