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________________ ४२ Jain Education International 1 माहरा कर्म माहिं लिख्यउ ते लहि बाप कर्म 3 बेटी नहीं, आर फर्मी राय वचन सुणि कोपीयठ, हुं सुखीया दुखीय करू, शंक भणी राजा करू, मुझ सुपासायई सहु सुखी, आ. जिनसूरिविरचित तात सुणउ मयणा 12 कहई, गर्व 14 उत्तम गुण गलई, मूरख्य" स्यु' बेरे । कुण छइ मुझ तोलइ 10 रे || २२ ॥जी॥ राजा करू रंको रे । तु प्राय रे । 2 थाय* रे ||२१|| जी ॥ + ॥ मयण - aण विष सारिखा, कहइ 17 जिनहर्ष राजा तणउ, कीनइ 13 रे । एतउ गर्व न 15 जग जस लहीजई रे ॥ २४ ॥ जी ॥ 11 मानि निसंको रे ॥ २३ ॥ जी ॥ श्रवणे नही सुहायो रे । 18 हीये क्रोध भरायो रे ॥ २५ ॥ जी ॥ दूही 20 इणि २० मत सारू नृप कह 21, निरचन भिक्षारी निगुण 2, 22 दुख लिखीय तुझ भाग । ते वर न तु लाग ||२६|| जी || 3 छठी रातई जेह ! वलवी 24 मपणा इम कहदे, सिरि लिखीयऊ 25 छह माहरह, आवी मिलिस्ये 26 तेह ||२७|| जी|| ३ ढाल : महिंदी रंग लागउ प देसी । ars 27 कुमरि वचणडे रे लाल प्रजापाल विकराल नृप क्रोधइ 28 मर्यड | नृ राय रेवाडी संचस्थ रे लाल सैन्य सहित स्तकाल ||२८|| नृ आगलि29 दीठउ भवत रे लाल, कोढी नड परिवार नृ सात सय सु परिवरथउ रे लाल, ऊंबर 30 राण मझारि ||२९|| || 1 माहे B 2 प्राय: B 3 करमों B 4 घायt B 5 7 बोलई B 8 दुखीया B 9 कुन छे B 10 ई B 11 B 13 जई B 14 गर्न B 15 लघुता पांमीज रे B जिनहरप B 18 हीयउ B 19 भराव B 20 इणि मति B 23 नई तु B 24 मैंणाम करें B 25 छे माहरे B 26 28 out B 29 • B 30 शेण For Personal & Private Use Only वचन सुणी B मांनि B 6 मूर्ख B 12 मैंणा कई 16 रिखां B 17 करें 21 कहें B 22 गुण B लिस्यै B 27 कुँमरीने B www.jainelibrary.org.
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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