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________________ खरतरगच्छीय आचार्य श्री जिनहर्षसरि-विरचित लघु श्रीपाल-रास संपादिका-साध्वी श्री सुरेखाश्री प्रत-वर्णन और संपादन-पद्धति प्रस्तत श्रीपाल रास का संपादन लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मंदिर की हस्तप्रतों से किया गया है। इस संपादन कार्य में तीन हस्तप्रतों का उपयोग किया है। ___प्रत 'A' - प्रस्तुत रास 'A' प्रत से उद्धृत किया है कारण कि यह रचना-सवत् के अत्यन्त समीपस्थ है । सवत् १७४२ में इस कृति का निर्माण हुआ तथा संवत् १७५१ में यह प्रत आलेखित की गई। इस प्रत में ११ पृष्ठ है जिसमें पृष्ठ सं. ६ का अभाव है। त 'B' से की गई है। ला. द. भा. स. वि. मंदिर के हस्तप्रत विभाग के रजिस्टर न. २८३१ तथा सूची न० ५२४१ की यह प्रत है । इस प्रत का माप २६४११. ३ से. मी., है प्रत्येक पृष्ठ में १३ पक्तियाँ है किंतु अंतिम पृष्ठ ११ की दूसरी ओर सिर्फ स्तियाँ ही है। अशद्धियों के निवारण के लिए हरताल का प्रयोग स्थान स्थान पर किया गया है। प्रत्येक पृष्ठ के दोनों ओर २.५ से. मी. का हांसिया है। पोछे की तरफ दाहिनी ओर पृष्ठांक लिखे हैं। इस प्रत का लेखन सुंदर है । किन्तु कुछ कुछ अशुद्धियों के रहते हए भी अपेक्षा से इसकी स्थिति उत्तम है। प्रत 'B' -- ला. द. भा. स. वि. मदिर के हस्तप्रत विभाग के रजि.न.६६७९ तथा सूची न० ३३५७ से इस प्रयोग किया है । इस प्रत में १२ पृष्ठ है । इस प्रत का लेखन संवत् अज्ञात है। २३४१०.५ से. मी. की इस प्रत के प्रत्येक पृष्ठ में १५ पक्तियाँ है तथा दोनों ओर २ से.मी. का हसिया है । हापिये में दाहिनी ओर पृष्ठांक लिखे हैं। इस प्रत में अनुस्वार का प्रयोग बहुलता से अनुपयुक्त भी किया गया है। कहीं कहीं पर पानी गिर जाने से धब्बे पड़ गये है । इस प्रत में अ+ह को 'ऐ' की गई है तथा अ+3 को 'ओ' कर दिया गया है। इस प्रत में हांसिये में ढालों की अन्य देशी भी उल्लिखित है। प्रत C-रजि न. ३७३४ तथा सूची न. ३६६३ की यह प्रत भी उपर्युक्त विभाग की ही है। १२ पृष्ठों की इस प्रत का माप २५.५४११.५ से.मी. है। इसका प्रथम प्रष्ठ सुरक्षा की अपेक्षा से कोरा रखा गया है। २.८ से. मी. का हांसिया प्रत के दोनों ओर है। अंतिम पृष्ठ में पाँच ही पंक्तियाँ है। प्रत्येक पृष्ठ में १५ पक्तियाँ है । इस' प्रत का लेखन व्यवस्थित व शब्दमय है । B प्रत के सहरा इसमें भी 'अ स्थान पर इके 'ऐ प्रयुक्त हुआ है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520761
Book TitleSambodhi 1982 Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages502
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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