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३. पाइय-सह-महण्णवो में अनुपलब्ध वसुदेवहिण्डी की शब्दावलौ
नखरण (१०७.३) देखो णहरण* नाड (८६.१३) चमड़े की पट्टो, जोत, (गुज. नाड, नाडु; हिन्दी. नाडा) *नासावंस (६५.२०) नासावंश नासाग्र निक्कम (१५४.१७) निष्क्रय मुक्ति-मूल्य, स्वतन्त्र करने की कोमत। निलिंति (१३७.१२) नीळयन्ते (मोविसंडि.)-एक जगह आ लगते हैं, आश्रय लेते हैं । नीइ (११६.२७) निर्याति बाहर निकलता है (पासम. णिज्जाइ णो गम्) नेय (१७.१९) नेव=नहीं ही पइकिति (१२६.१९) प्रतिकृति प्रतिबिम्ब, मूर्ति, (पासम. पइकिदि, पइगिइ, पडिकिदि) ०पकअ (११७.२३) प्रकृत प्रस्तुत किया हुआ (पासम पकड) पच्चअ (१५४.१३) प्रत्यय-समाचार, विश्वासपूर्ण जानकारी पज्जाइय (१९३.८) पर्यायित=मारा हुआ, समाप्त, पर्यायप्राप्त पज्जोसिअ (१०८.२) प्रज्योस्निक-गत कल संबंधी, संध्या संबंधी पडिगारिया (१८०.१३) परिकारिका सेविका (मोविसंडि. परिकर्मन-सेवक) पडिभिण्ण (१३९.१०) प्रतिभिन्न-निंदित पडिणीयया (८४.१५) प्रत्यनीकता शत्रुता, विपरीतता पडियग्ग (१५४.१७) प्रति जागृ=सार संभाल लेना, किसी के लिए जागृत रहना पडिसिरा (१४८.३) (?) परदा पडुजाइ (१३२.८) पटु-जाति ब्राह्मण, (कुशल जाति) पणिवय (१३०.८) प्रणिपत्-गिरना, फैल जाना, बिखरना पदेसिणी (१८४.१२) प्रदेशिनी तर्जनी अंगुली पयय (१७१.२१) प्रयत्-प्रयत्न करना पयारअ (१९३.१०) प्रचारक-संचरण करने वाला, फिरने वाला परब्भाहतो (१०६ १०) परब्भव+आहत पराभवप्राप्त परहुय (७९.२२) परभृत-कोयल परिच्छअ (११६.२३) परिच्छद परिजन, व्यक्तिगत साधन परियायत्त (१७८.१७) पर्यावृत्त समाप्त, विनष्ट, विलीन परिलीढ (१२१.१४) परिस्पृष्ट-चारों ओर से स्पृष्ट, आलिंगित परिविअ (७.१८) परिवीत=घिरा हुआ पवाहर (१३१.२०) प्रयाह-बोलना पसिज्ज (१४८.१२) प्रस्विद्=पसना होना, पसीने से भीग जाना (मोविसंडि.) पस्सवण (१३४.९) प्रस्रवण-झरना, फुवारा ०पाउवगमण (१७०.३०) प्रायोपगमन अनशन-विशेष से मरण पागडिय (१५७.५) प्राकृतिक पाणीयं (८५.२३) पानीयम् जलाशय पीणग (१९२.१७) प्रीणक प्रसन्नदायी •पुरट्ठा (१३१.१२) पुरस्था=आगे या नजदोक स्थित होना
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