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________________ ६८ संपा. भोगीलाल ज० सांडेसरा राग वसंत ॥ तोरणि आयु नेमि जिणेसर, यादवकुल सणिगारू, पसुयबंध छोडी करुणापुर, लीधउ संयमभारू रे. १. मोरा नेमिजी सांमली रे, सामलीआ सोहामणा, इम तउ मूंकीनइ जईइ, हूं अबला कांइ प्राण ण चालइ, पणि एह वात कहिनइ कहीइ रे ? २. दू० सुणुउ सखी मोरी वीनतडी रे, प्रिय विण क्षण नवि जाइ, कामाकुल काना इम बोलइ, मेलवउ यादव जिनराय रे. ३. ___ मोरा नेमिजी सांमलीमा० ऊजलि गिरिवरि संयमश्री वरी, नेमिजिन मुगतिचा सामी, गंगचु सामी रंगभरि पामी, तु राजिल दुकृत वामी रे... मोरा नेमिजी सांमलीआ० इति श्री नेमिनाथ गीतं ॥ राग वसंत ॥ तोरणि आयु नेमिकुमर, अति आणंद भयु, नेह नयण निरखंतां सुरिजन मूकीनइ गयु रे माइ. १ वयरी विरुह जगावइ, क्षण एक नीद न भावइ, नेमि वालंभीउ कोइ मझ आणीणि मेलावि माइ. दू० नेत्र कमलदल सोहइ सामा, सोल कला मुखचंदू, रेवइ गिरिवरि शृंगइ चडी तिहां मलीउ यादवइंदू माइ. २ वयरी वि० मयण सरीखु रिपु जीतु रायमइ राणी, गंग भणइ अविचल सुख पामी, कीधी अकहि कहाणी माइ. ३ वयरी वि० इति श्रीनेमिनाथ गीतं ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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