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________________ श्रावक कविओनी केटलीक अप्रकट गुजराती रचनाओ विषय थकी रावण दुख पामिउ, अपहरी गिउ परनारी, दिस सिर रान लंकथी टाली, जोउ चतुर विचारी रे. २ जीवन. असत्य वचन कैचकि मुखि भाषिउं, विकल वइषय मदि मातउ, भीमइ संतोष्या देउलमाहि, परमस्त्री म म राचु रे. ३ जीवन सील संगार अंगि अति सोहइ, भवर सिंगार ____ म म राच साह गोविंदतन श्रीकरण वीनवइ, सेवउ अरिहंत साचउ रे.. १ जीवन . इति सीलगीतं ॥ ३. चांद्यसुत गोनुकत गीत राग सामेरी अनंत कालि जीव भमीय भागु, वीतराग धर्म दुलभ लाधु, बीव सुणि न श्रावकधर्म जोउ विचारी, जोव जतन करु, तरु संसारि. १. जीणइ गोसालइ स्वामीनइ अवज्ञा कीधो, दया करी तेहनइ मुगति थापीउ, २ जी० कणकी सुश्रावक हऊआ स्वामी, आणंद कामदेव मुगतिगामी. ३ जा. थूलिभद्र कोशासंय नेह न दाखिउ, श्रवणे वयणे सुणी पाप्ति राखिउ. ४. जी० पंच परमेष्ठि जि को ध्यान ध्याइ, चांदामुत गोनु कहि ते अमर थाइ. ५. जी.. ४. भीमकृत प्रण गीतो [१] राग अधरस बबल बाल नवयौवन तारुणी, दीठडइ नाटीसिउं सनेह की रे, माइ ताय घर घरुणी तिजो लइ निगुण कलंक कुणइ तिजीउ रे ! Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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