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________________ इतिहासवें स्वरूप अने तेनो प्रासंगिकता (इतिहासने लोकप्रिय बनाववाना उपायना संदर्भमां)* आर. एल. रावल कोई पण देश के समाजना इतिहासने रज़ करवामां आवे छे ते पहेलां ए इतिहासने शास्त्रीय दृष्टिए बे प्रकारना तबकामांथी पसार यदुं पड़े छे. प्रथम तबका दरम्यान इतिहासमुं निम्न-माळखु (infra-structure) तैयार थाय छे, जेमां इतिहासकार ए स्थळ के समाजना भूतकाळने पोतानी बौद्धिक प्रवृत्ति द्वारा छतो करे छे, अने तेम करवा माटे ते ऐतिहासिक दृष्टिए महत्त्वनी सामग्री-दस्तावेजो, बनावो, अवशेषो-वगेरेने बने तेटली तटस्थताथी तपासी एकठी करे के अने तेना आंतर-संबंधोनु संशोधन करे छे. आ बौद्धिक संशोधननी प्रवृत्तिनो द्रष्टा अने पसंदगो करनार इतिहासकार पोते ज छे. परन्तु बीजा तबक्कामां ज्यारे इतिहासकार ए इतिहासने आखरी लेखित स्वरूप आपे छे त्यारे इतिहासनु उपरी-माळखु (super-structure) तैयार करे छे. सामान्य रीते इतिहासमां रस धवनार वाचक वर्ग पासे इतिहासनु आ उपरी माळखु (super-structure) रजू थयेलु होय छे आम इतिहास-संशोधनप्रवृत्ति ए इतिहासनु निम्न माळखु (infra-structure) छे, ज्यारे ते संशोधन पछीनु आखरी लेखित स्वरूप तेनु उपरी-माळखु (super-structure) छे. तेथी ज्यारे आपणे इतिहासने लोकप्रिय बनाववाना उपायोनी चर्चा करीए छीए सारे आपणे जाणीए छीए के बहुजनसमाज इतिहासना परी माळवाना स्वरूपना संदर्भमां ज जाळी राखवामां आवेली ऐतिहासिक कृतिओ, स्थळो के अवशेषोने जोवानी दृष्टि केळवे छे. मारी दृष्टिए आजे आपणे इतिहास विषयना संशोधननी टेकनीकनां जुदां जुदां पासानी चर्चा करता नथी, परन्तु आपणो हेतु इतिहासना उपरी माळखों द्वारा रजू कराती इतिहास-चेतना समाज पर कई रीते असर करे छे, अने ते अंगे समाजना क्या प्रकारना, केटला प्रभाणमां अने कयारे प्रतिभावो पडे छे ते जोबानो छे, अने साथे साथे ए पण विचारवानुछे के आ इतिहासचेतना लोकोनी सामूहिक चेतनानो भाग केवी रीते बनी शके के जेथी समाजमां ज्यारे इतिहास नवो वळांक लई रह्यो होय ते वखते पेदा थता पडकारने समजवानी ते क्षमता पेदा करे. (२) सामान्य रीते समृद्ध अने सुखी अवस्था दरम्यान मानवसमाजने इतिहास चिंतन करवानी टेव होतो नथी. आवा समय दरम्यान ए समाज इतिहासना प्रवाहमां जीववानो संतोष माने छे. वळी सनृद्विनी टोचे पहोंचेलो समाज एम ज मानी ले छे के तेनी पेढीने इतिहासनो झगाटो क्यारेय पण लागवानो नथी. आ समृद्धिकाळ दरम्यान समाजमां खोटो आत्मविश्वास पेदा थयेलो होय छे. परिणामे समृद्धिए पेदा करेली खोटी चेतनामां जीवतो ए समान इतिहासना प्रवाहमा तणाइ जइने पोतानी अस्मिता खोई बेसे छे. अने तेने परिणामे ते समाजमा इतिहासनी कटोकटी (historical crisis) पेदा थाय छे. मानव इतिहासमा केटलीये भौतिक दृष्टिए समृद्ध संस्कृतिओ काळनो कोळियो बनी गई छे. ए रोते जोतां समयना पडकारोने अंगेनी समानता अने आ पडकारोने समजोने तेने जवाब आपवानी शक्ति इतिहास-चेतना * माधवपुर-घेड मुकामे गुजरात इतिहास परिषदना पञ्चम ज्ञानसत्रा रजू करवामां आवेलो निबंध : २६, २७ ओकटोबर, १९७८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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