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________________ आर. एल. रावल धरावता समाजमां ज होई शके. आ इतिहास-चेतनाना संदर्भमां आपणे इतिहासनी कटोकटी (historical crisis) जेवा महत्त्वना प्रश्न अंगे पण विचार करवानी जरूर छे, कारण के जेने आपणे लोकप्रिय बनाववानी चर्चा करीए छीए ए इतिहासना स्वरूपने नवा परिमाणथी तपासवु ए अत्यन्त आवश्यक छे. मानवइतिहासना जुदा जुदा तबकाओ दरम्यान दरेक व्यक्ति के समूह तेनी सामे आवती नवो परिस्थति-पछी आ परिस्थितिओ प्राकृतिक परिबळोनु परिणाम होय के मानवसर्जित होय-तेनो मुकाबलो करवा माटे जोवननो चोक्कस दृष्टिकोण के मान्यता रचे छे. आ मान्यता फक्त बोद्धिक मान्यता नथी, परन्तु जीवन जीववानो अदम्य आवश्यकतामांथी पेदा थयेलो बुनियादी मान्यता छे. आ मान्यताने आपणे युग-प्रवाह के युगचेतना (zeitgeist) तरीके ओळखावी शकीए. व्यक्ति के समा जनो पोताना जीवन विशेनो दृष्टिकोण मोटा भागे | युग-प्रवाह पर ज रवायेलो होय छे. परंतु पारे आ बुनियादो मान्यता पर रचायेला मानवसंबन्धो अने जवन सतत बदलाती परिस्थितिने हल करवामां निष्फळ जाय छे त्यारे इतिहासनी कटोकटी पेदा थप छे. आजे आपणे ए इतिहासनी कटोकटीना युगमा जीवीए छोए. इतिहासअभ्यासनो हेतु ए रते आ कटोकटोओना स्वरूाने समजवानो होइ शके. जोवनमां पेदा थयेला कटोकमीना काळ दरम्यान व्यक्ति के समाज एक प्रकारनु खालीपणु अनुभवे छे. तेम छतां घगी-: वार इतिहासनी कटोकटीना काळ दरम्यान समाज आ खालीपणानो सोधो मुकाबलो करवाने बदले पोतानो अगाउनी मान्यताने ज पकडीने जीववानो आग्रह राखे छे, त्यारे व्यक्ति के समाजना जीवनमां आंतरविभाजन पेदा थाय छे. आत्रा आंतविभाजनवाळो मनुष्य के समाज कृत्रिम के ढांगी छे. ते इतिहसना अर्थ नो पण अनर्थ करे छे. आवो कटोकटी वखते जीवनना एकाद अरछल्ला पापाने अखिन जीवननु स्वरूप आश्वानो आग्रह सेवामां आवे छे. पछी ते पासु संकुचित धार्मिक मान्यतानु होय, राष्ट्रवादनु होय के गरीबाइ हठाववानु होय. आ एक ज पासाथी समग्र जोवनने समजत्रानो आग्रह जीवनने विकृत बनावे छे. इतिहासने लोकप्रिय बनावतो वबो इतिहासमा अभ्यासीनी ए जवाबदारी छे के कोई स्थळ के समाजको इतिहास फक्त एक ज दृष्टिकोण के पासा पर बधारे पडतो भार मूकीने रजू न करे. वळी आधुनिक युगमां विज्ञान करतां पण विज्ञानवादे मानवसंबन्धोने आकार आपवा माटे भारे प्रयास कर्यो छे, परिणामे भौतिकविज्ञान पर आधारित वधु पडती विज्ञानवादी श्रद्वाए व्यक्तिनी आंतरचेतनानो हान कर्यो छे. अने तेथो ज आजना युगमां जीवननो सोधो मुकाबला अने तेनो स्पर्श करवानी संवेदनशीलता बुठी थई गई छे. एटले के बदलाती परिस्थितिमा नबो जीवनसंदर्भ समजवा माटे आत्मस्थ थवानी वृत्ति लगभग नष्ट थई छे. तेमां इतिहासना अभ्यासीओ पण अपवाद रूप नथो रह्या. परंतु तेनो साथे ए पण एटलु ज स.चुछ के आवी कटोकटोज आत्मस्थ थवानी वृत्तिने पाछी सजाग करे छे. आथी ज जेने आपणे लोकप्रिय बनाववा मांगोए छीए ते इतिहासना अभ्यासर्नु महत्व जीवनने समजवा माटे विशेष रह्य छे. (३) जीवननो इतिहास साथेनो सीधा संबंध छे ए तो आपणे जाणीए छीए. जीवन एटले ज संबंध To exist is to exist in relation to some thing. आ संबंध त्रण प्रकारनो होई शके. व्यक्तिनो पोतानी साथेनो एटले के पोतानो आंतरचेतना साथेनो, प्रकृतिना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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