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जैनदर्शन में तर्कप्रमाण
व्यापक है । प्रतीकात्मकता से यह बात अधिक स्पष्ट हो जाती है । वर्ग सदस्यता का निम्न चित्र रेखांकन भी इसे स्पष्ट कर देता है।
अनियुक्त किन्तु धमरहित
निम्तधमरत
७
.मा
पर
पाक
सा
वर्ग सदस्य सम्बन्ध के इस चित्र से निम्न फलित निकलते हैं(१) सब धूमयुक्त वस्तुएं अग्नियुक्त वस्तुएं हैं, क्योकि धूम युक्त वस्तुओं के वर्ग का प्रत्येक सदस्य अग्निथुक्त वस्तुओं के वर्ग का सदस्य है । धूम युक्त वस्तुओं का वर्तुल अग्नियुक्त वस्तुओं के वर्तुल में समाविष्ट है । अर्थात् धूम व्याप्य है और अग्नि व्यापक है । अतः धम और अग्नि में व्याप्ति सम्बन्ध है किन्तु इसके विपरीत अग्नि और धूम में व्याप्ति सम्बन्ध वहीं-बनता। क्योंकि अग्नियुक्त वस्तुओं की जाति (वर्ग) के सभी सदस्य धूमयुक्त वस्तुओं की जाति । के सदस्य नहीं हैं। क्योंकि ... . . हे (धू )२ सा (अ) - सत्य .
सा (अ) हे (धू) - असत्य (२) सब अग्नि रहित वस्तुएं धूम रहित वस्तुए हैं क्योंकि अग्निरहित वस्तुओं के वर्गका प्रत्येक. सदस्य धूमरहित वस्तुओं के वर्तुल में समाविष्ट है अर्थात् अग्नि रहित वस्तुऐं व्याप्य है और धमरहित वस्तुएं व्यापक हैं । अतः अग्नि रहित वस्तु और धूमरहित वस्तु में व्याप्ति सम्बन्ध हैं किन्तु इसके विपरीत धूमरहित और अग्नि रहित वस्तु में व्याप्ति सम्बन्ध नहीं बनता है क्योंकि धूमरहित वस्तुयें व्याप्य नहीं है, इसमें व्यभिचार हो सकता है क्योंकि धूमरहित वस्तुओं की जाति के सभी सदस्य अग्निरहित वस्तुओं की जाति के सदस्य नहीं है।
हे ( अ) सा ( ध)-सत्य .
सा ( धू) हे ( अ) - असत्य , यहां प्रथम उदाहरण में धूम हेतु है और अग्नि साध्य है जबकि दूसरे उदाहरण अग्नि रहित' हेतु है और 'धूम रहित' साध्य है । (३) कोई भी धूमयुक्त वस्तु अग्नि रहित नहीं है क्योंकि धूमयुक्त वस्तुओं का वर्तुल अग्नि बीतः वस्तुओं के वर्तुल से पृथक् है अतः धूमयुक्त और अग्नि रहित में व्याप्ति निषेध या . अविनाभाव निषेध सम्बन्ध है अर्थात् जहां एक होगा वहां दूसरा नहीं है, जो धूमयुक्त है
अग्नि रहित नहीं हो सकता और जो अग्नि रहित है वह धूमयुक्त नहीं हो सकता ।
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