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हसु याज्ञिक होतेरी अने असंख्य रासकृतिओ, कथाकोषादिमां स्त्रीचरित्रना कथानको आलेखायां छे. भ्रष्ट , चारित्र्यवाळी स्त्री पोताना प्रेमी साथे रंगरागमां डूबेली होय एज वखते पति, सासु, ससरो, . दियर, नणंद के शोक्य आवी चडे ने ए धोत्रण, कोलण, काछण, रबारण, सुतारण, जाटण, कणबण के राजराणी कोई एवो अद्भुत तोड काढे के पोते ने जार तो बची जाय, पण जोई जनार जो ससरो होय ने नूपुर जेवी साबिती लई आव्यो होय तोय जूठो पडे,२५ जेठ ने ससरो होय तो पेली स्त्री बधु नणंद माथे ढोळे ने तेरी बी चूप और मेरी बी चूप थई जाय," सासु होय तो एने धरार सती थई मरवू पडे ने जोनार पति होय तो धूणती पत्नी ने ज्वालामुखी मानी पूजवा लागे ने क्वचित आनंदविभोर बनी पत्नी ने पत्नीना प्रेमीने खाटलामां बेसाडी राखे, माथे खाटलो पण उपाडी ले..
स्त्रीनी कुटीलता अने कुनेहना आ किस्साओ मध्यकालना श्रोता माटे, नीति नाक- टेर चडेल न होय एवा आजना श्रोता माटे पण, खडखडाट हसवानुं निमित्त पूरूं पाडे छे. क्वचित अपवादरूपे पति पत्नीनी चालचलगत पामी जतो होय छे ने पचावी पण जतो होय छे. 'कुमारपाल प्रतिबोध' नी एक कथामां पति नाग पत्नीना चारित्र्यनी कसोटो करवा मजरना वेशमां पत्नी ने मळे छे. पत्नी एना सूळीए चडेला जारने हारतोरा करवा जतां पति-' ने मजूर तरीके राखी रूपियो आपवान ठरावे छे. राते एना बीजा जार जोडे झघडो थतां पत्नी जारन खून करी पेला मजूर पासे बीजो रूपियो ठरावी शबने वगे करवान ठरावे छे. काम पतावी मजा चाल्यो जाय छे. ए पछी पती-पत्नी द्यूत रमे छे तेमां पति बे रूपिया हारे छे. पत्नी एनी मागणी करे छे त्यारे पति कहे छे, 'बे रुपिया वसूल-एक फूल उपाडवानो ने एक शब दाटवानो'.
मोटाभागनां कथानको नीति अने रुचिनी दृष्टिऐ चित्तने प्रसन्न करवाने बदले क्षुब्ध करे, देखे vai पण छे. केटलाकमां चित्तमां मधुरता ने हळवाश उभराय एवी निर्दोषता पण होय छे.. एक यवान पत्नीना वृद्ध पतिना घरमां अचानक चोर आवी चडतां क्यारेय आवेशथी न भेटती पत्नी पतिने वळगी पडी. 'आलिंगनं तत्र दुर्लभ' ना लाभथी खुश थयेला वृद्ध पतिए चोरने बक्षीस आपी.१९ आQ एक अन्य कथानक ओ हेन्रीनी वार्ताना अंत जेवू छे. पंचतंत्र अने शामळकृत शूकबहोतेरीमांनी दशमी वार्तामां नरभेकुंवर राजाना खवासने साधी राजानो पाळेलो मोर खाय छे. राजाए आनी तपास करी. मालणे राजाने वात करी ने राजाने छपावी नरकंबरने फुलावी एना मोढामांथी आखी वात कढावी. छे छेल्ले नरभेकंवरने दाळमां काळ लागतां गुलांट मारी, 'ने पछी तो बाइ हुँ जागी गई' 'जागी गइ एटले शु?' 'एटले शं बीजं ? मने स्वप्नु आव्यु'तुं, तेनी तने आ वात करी. बाकी मांकड मच्छरने मारतां अचकाईए एवा वाणिया ते कइ मोर-कूकडां खातां हशे ?'
स्त्रीचरित्रनां कथानकोनी परंपरा अत्यन्त प्राचीन छे. संसारनी असारता दर्शाववा अने मोहमायाथी मुक्त करवानी मनोवैज्ञानिक ढबनी शोकट्रीटमेन्ट आपवा माटे बौद्ध अने जैन धारामां स्त्रीनी चंचलता अने शिथिलतानां निदर्शनरूप आवां पुष्कळ कथानको कहेवायां छे. बौद्ध २५ नूपुरपंडिता-यशोविजयकृत जंबुस्वामीरास, शामळमां २२मी वार्ता २६ शामळकृत सूडाबहोतेरीमा ७मी वार्ता २७ एजन २७मी वार्ता २८ एजन ३जी, पंचतंत्रमां पण छे २९ पंचतंत्र-डॉ. साडेसरा, पृ०३०७, कथा.स.सा.-टोनी-पेन्झर भाग-५-पृ.१०६
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