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मध्यकालीन गुजराती साहित्यनां हास्य-कथानको
धारामां कुणालजातक (५३६ तथा ६१-६६)मा स्त्रीचरित्रनां कथानको छे. जे धारानां ग्रन्थोमां तो स्त्रीचरित्रना असंख्य कथानको छे. आवश्यक चूर्णी अने कथा स. सा. (२.५.९२-१११) मां आवतुं आ कथानक जुओ:
कोई स्त्री प्रेमी के पतिनो पैसो लई भागी. रस्तामां चोर मळ्या. पेली स्त्री बोली, 'धन तु तारे लइ जा. मारे तो पति साथे कलह थयो होई मरवु छे.' चोर भोळवाई स्त्रीने आपघात करवानो गाळियो करी आपे ने एमां माथु केम मूकवु ए देखाडे के स्त्री तक झडपी चोरने पूरो करे छे. थोडीवारे पति ने आवतो जोई स्त्री वृक्ष पर चडी गई. साथेनो नोकर स्त्रीने जोई गयो ने वृक्ष पर चडयो. स्त्रीए एने नजीक बोलाव्यो, 'तु केवो सुंदर छे ?' ने चुंबनने बहाने एनी जीभ चावी गई.
शामळकृत बहोतेरीनी २२मी वार्तामां मळतु चांपली मालणर्नु ने एना ज अवतार जेवु एरेबियन नाइट्सनी सिंदबादनी सफरमा आवतु कथानक हास्यात्मक परिस्थिति माटे विशेष नोंधपात्र छे. जुदा जुदा प्रहरे आवी चडेलां प्रेमीओने चांपली घरमा जुदे जुदे स्थळे संताडे छे. ने छेवटे पति आवे छे. अश्लील के अरुचिकर गणाय एवा कारणे पतिने अन्यनी हाजरीनु भान थाय छे ने संतायेला प्रेमीओनी भागभाग थाय छे तोय चांपली, 'तारा पितृ रूठीने चाल्या गया' कही पोतानी जातने उगारी ले छे. अश्लीलता ने हास्य
स्त्रीचरित्रनां कथानकोमा आवतु हास्य क्वचित अश्लील अने आरुचि बनीने आवे छे. बुद्धि अने हास्य के मूर्खता अने होस्य जेम संकळायेलां छे तेम अश्लीलता, अपरुचि अने हास्यनो संबंघ पण जूनो ने कईक स्वाभाविक कही शकाय एवो छे. संस्कृत भाणनी रचनाओ. भवाईना वेशो ने स्त्री-चरित्रना कथानकोमा अश्लीलता अने अपरुचि छे. चांपली मालणना कथानकोमा अश्लीलता अने अपरुचि छे. चांपली मालणना कथान कमां खाटला नीचे छुपावेल प्रेमीनो अपान मुक्त थतां पति पूछे छे. खाटला नीचे शुगंधाय छे ?' ने ए तक झडपी चांपली सडेला कोळाना बहाने प्रेमीने ऊंचकीने फेंकी दे छे. कोठीमां उपर संताडेरो प्रेमी कोठोमां नीचे न ऊतरे ए माटे चांपलीए एने का छे के नीचे सापण छे'. पतिने लापसी खावान मन थतां चांपली लापसी रांधी ने तपेली कोठी पासे मूके छे. कोठीमा रहेलो प्रेमी दाझतां सुसकारे के. उपर रहेलो प्रेमी माने छे के सारणे फूफाडो मार्यो. एने पेशाब थई जाय छे ने चांपलीनो पति माने छे के लापशीमां घीनी धार पडी ! एरेबियन नाइट्सनी कथामां पण पेटीना खानामा पुगयेला फोजदार, न्यायाधीश, सुलतान अने सुतारने एकबीजाना अस्तित्वनु भान पेशाबने कारणे थाय छे. प्रेमीओने पूरवानी आवी कथायुक्ति शीलकथामां पण मळे छे. त्यां शील रक्षवा स्त्री पुरुषोने कूवामां उतारे छे. आ अरुचिकर निरूपण नथी.
अपानवायुनो हास्यार्थे उपयोग उपदेशपदना एक कथानकमां धारदार रीते थयो छे. राजाए विषकने कह्य के एनी मानीती राणी क्यारेय अपान मुक्त करती नथी. विदुषके हसतां कह्य' के 'राणीजी ज्यारे आपने पुष्प के अन्य कोइ सुवासित पदार्थ आपे त्यारे खातरी करजो,' ने राजानी परीक्षाथी गणी विदुषक पर गुस्से थयां ने देशवटो आप्यो. चतर विदषक लांचा वांसडामा जोडानो हार भरावो नीकळ्यो. कद्देवानी जरूर नथी के राणीए विदुषकनी सजा माफ करी. विदुषक आटला जोडा घसाय एटला प्रदेशोमां फरे ने बधे एने देशवटानं कारण कहेवू पडे-राणीने ए केम पोषाय ?
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