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________________ हसु याज्ञिक खरीदवा आवशे, त्यारे हपकडीने केद करावीश.' सहस्रमल्ल बीजे दिवसे साच्चेज ए हजाम पासे वाळ अने नख कपाववा गयो ने पैसा लेवा हजामना छोकराने साथे लई कापडियानी दुकाने आव्यो. किंमती कापड लई, 'पैसा मोकलाउं छं ने थापण तरीके मारा छोकराने मूकतो जाउंछ कहो बेयने छेतरी गयो. मर्दनियो बनी गजा पासे आव्यो ने मर्दनथी राजाने ऊंघाडी, आभूषणो ऊठावी. आरामथी छटकी गयो. बोले बांधनार मूर्खकथानां बोलने वळगनार पात्रोथी तद्दन भिन्न प्रकार बुद्धिचातुर्यनां कथानकना धूर्ताना . जोडिया भाई जेवा बोले बांधनारनो छे. बोलने वळगनार कोईना बोलने पकडी लई बीजाने मुश्केलीमां मुके छे ने पोते पण मुश्केलीमा मुकाय छे. ज्यारे बोले बांधनार पात्र तो बोलनार सामी व्यक्तिने ज आपत्तिमां मूके छे. डॉ. ह. चू, भायाणीए लोककथामां लंकाकांड (शब्दछलनो एक विशिष्ट प्रकार)" मां बे बंगाली लोककथा - कंगाळनी कथा अने भाग्यशाळी भामटानी कथाअने एक मध्यकालीन गुजराती कथोनी चर्चा करी छे. प्राकृतमां रचायेला 'आख्यानकमणिकोश' पर ई. स. ११३४ मां आम्रसूरए धोळकामां रही रचेली वृत्तिमा बंधुदत्तना मुखे लंकाकांडनी कथा मूकवामां आवी छे, आ प्रकारना कथानकनो नायक बोलनारना शब्दने पकडी एने आधारेज सामी व्यक्तिने नुकशान पहोंचाडे छे. प्रवासनो मार्ग झघडो करीने खुटाडवानु कहेती भरवाडणोने पगनी आंटी नाखी पछाडे छे. लंकाकांडने रूबरू जोवानी इच्छः दर्शावती डोशीना झूपडा पाळेला वांदरानी पूछडीए गोदडा बीटी सळ्गावे छे. 'तेलना टीपे तो आयुष्य वधे' कहेनारनी तेलनी कोठी फोडे छे. ने 'बे कोडीमां तो पान खानारना होठ चाटवा मळे' कहेतां पानवाळाने बे कोडी आपी, एनी पान खाती पत्नीना होठ चाटे छे. आम अहीं बोलनारना बोलने वळगीने परेशानी, पजवणी के नुकशानी करवामां आवे छे, जे हास्य जन्मावे छे. ... आ कथानकने मळतु अन्य कथानक हरिभद्रसूरिए रचेला प्राकृत उपदेशपदमा निर्मागीना कथानकमां मळे छे." निर्भागी कोइना बळद मागी लाव्यो ने ए पाछा आपवा गयो त्यारे पेलो बळदनो मालिक जमतो होइ निर्भागीए 'आ तमारा बळद तमने पाछा सों' छ। एम न कह्यु. बळद वाडामांथो बह र नीकळी गया अने चोर चोरी जतां मालिक निर्भागीने लई राजदरबारे फरियाद करवा उपड्यो. रस्तामां घोडा परथी पडेला सवारे भागता घोडाने उदेशतां 'मारो मारो' कह्य. निर्भागीए घोडाने मायु ने घोडो मरी जतां घोडेसवार पण फरियादमां जोडायो. आ आपत्तिथी कंटाळी निर्भागी गळे फांसो खाई मरवा गयो परंतु दोरडं तूटतां नीचे एक वृद्ध नट पर पड्यो ने एनु मृत्यु थतां नटनो पुत्र पण फरियादमा जोडायो. आ कथानकनो नायक दुर्भागी बोलने वळगता मुग्ध जेवो नथी के नथी ए बोले बांधनार धर्त. परंतु निर्भागीनी अपदशानी हारमाळामा स्पष्ट लंकाकांडीय माळ ज रहेलु छे. लंकाकांडनी कथामां नायकनु चातुर्य प्रसंगना मूळमां छे, अहीं दुर्भाग्य. बोले बांधनारना अन्य कथानकोमां कोई निर्दोषने वचने बांधी धूती ले ने ए पछी कोई एने छोडाववा माटे एवी ज युक्ति रचे-ए प्रकारना कथानकोनो पण समावेश करी शकाय, प्राकृत कथाना गाडा-पोपट अने 'बिरबलनी खीचडी'ना मळ जेवा प्राकृतना टाढ अने दीवाना कथानकने अहों जोवा जेवां छे. 'गाडा-पोपटनो भाव शु' एवं पूछी धूर्त शेठ पोपट १८ अनुसंधान, ह. चू. भायाणी पृ० ४२थी ४९ १९ प्रा. उपदेशपद महाग्रंथनो गुर्जर अनुबाद-आ. हेमसागरसूरि पृ. १२२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520757
Book TitleSambodhi 1978 Vol 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages358
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size9 MB
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