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मध्यकालीन गुजरातो साहित्यनां हास्य-कथानको धुर्तनायकाना पूर्वजो के सूरि गणाय छे आचार्य मूलदेव अने शशि. घट-कपर अने शशि-मूलदेवनां कथानको कथासरित्सागरमां मळे छे." आवश्यकचूर्णी, नियुक्ति अने उपदेशपद उपरांत अन्यत्र पण आ अंगेना कथानको मळे छे, जे हास्य-रमूजनां छे.
शशि अने मूलदेव जेवां धूर्तशिरोमणि पात्रोनी विभावना प्राकृतकथामां सांव-प्रद्युम्न जेवां पात्रोमां अने गुजरातीमां विक्रमचरित्र, खापराचोर अने सहस्रबुद्धि जेवां पात्रोमां पांगरती जोवा मळे छे. आ प्रकारना पात्रोनी विशेषता ए छे के पोताना कोई अंगत स्वार्थ के लाभने बदले केवळ मोज के टीखळथी अन्यने छेतरवा प्रवृत्त थतो होय छे.
संघदास गणि कृत प्राकृत वसुदेवहिंडीमां सांब अने प्रद्यम्नना तरकटो अने तोफानो हास्यरमूजनां सुन्दर दृष्टांतो छे. प्रज्ञप्ति विद्याना जोरे घायु रूप धारण करी प्रद्युम्न कृष्ण, रुक्मिणि, वसुदेव जेवाने पण लागमा ले छे. सामसामी हजामत करतां हजामोनो प्रसंग खडखडाट हसावे एवो छे. एक प्रसंगे तो प्रद्युम्न वसुदेव बनी दादीओना घेरामा बेसी गयो अने साचा वसुदेवने बहुरूपी ठरावी राताचोळ करी मूके छे. नटखट नंदकिशोरनी ब्राह्मणधारानी विभावना ज जैनधारानी कृष्णकथामा प्रद्युम्नना पात्रमा मूर्त थई छे.
प्रद्युम्नना पात्रनु प्रतिबिंव मध्यकालीन गुजराती कथासाहित्यमां विक्रमचरित्रना पात्रमां झीलायं लागे छे. शुभशीलगणिकृत 'विक्रमचरित्र, उदयभानुरचित 'विक्रमचरित्ररास' (१५०९). साधकीर्ति रचित विक्रमचरित्ररास, शामळे लखेली बत्रीशीनी १२मी वार्ता, वगेरेमा विक्रमचरित्रनां पराक्रमो निरूपायां छे. डॉ० भायाणी कहे छे तेम" विक्रमचरित्रना मूळ कथानकमां मूलदेव अने शशिनी, केटलीक तो मूळ प्राकृत धूर्ताख्यान सुधी जती, धूर्तकथाओनी सेळभेळ थयेली छे.
उदयभानु रचित विक्रमचरित्र रासमां लीलावतीने भूली राजयमां लोलालहेर करतां राजा - विक्रमने एनो ज पुत्र विक्रमचरित्र पोताना धूर्ततापूर्ण मजाकिया साहसोवडे घोळा दिवसे तारा
देखाडे छे. शेलूत, शशिदेव-मूलदेव, पुरोहित, गोग्ग वेश्या, धोबी ने अंते राजाने पण, खडा खडाट हसवं आवे ए रीते बनावीने अंते पोतानो ओळख आपे छे.
• सहस्रबुद्धि
___ शशि मूलदेव, घट-कर्पर, खापराचोर के विक्रमचरित्रने मळतु ज मध्यकालीन गुजराती पात्र चोर सहस्रबद्धिन पंडित पद्मविजयगणिए रचेला 'गौतमकुलक बालाबोध'नी सोळमी कथामां" खोलव्य' छे. सहस्रमल रोज राते नगरमां चोरी करी घरे आवी निरांते घोरी जाय छे. बीजे दिवसे नगरमा फरवा नीकळेली एनी माता समाचार लावे के आजे अमुक माणसे चोरने पकडवानी डंफाश मारी छे के सहस्त्रमल्ल ए ज माणसना घरमा धाप मारे. आ रीते एणे कौशांबी नगरीमा रत्नसागर, पुरोहित, हजाम, नगरशेठ, प्रधान, कामपताका, कोटवाल ने अते राजाने खुदने
तयाँ एने पकडवा माटे विद्या अजमाववा नीकळेला साधुओने पण एणे न छोड्या. वाणंदे राजसभामां कह्य; 'रत्नसागर ने पुरोहितना घरनी संपत्ति मळवाथो चार मारी पासे हजामत कराववा ने नख कपाववा आवशे त्यारे हुएने पकडावी दईश.' कापडियो बोल्यो, 'चोर कापड १५ ओशन ओव स्टोरीझ-टोनी पेन्झर-भाग-५ पृ० १४२ परथी नोंध तथा हिंदी "आजकल"
ओगष्ट १९७०, धर्तशिरोमणि मुलदेव ओर धूतविधि ए लेख तथा क्षेमेन्द्रकृत कलाविलास" - १६ शोध अने स्वाध्याय पृ० १०३
१७ जैन कथारलकोष-भाग-६, भीमसिंह माणक बीजी आवृत्ति, पृ० २९५.
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