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मध्यकालीन गुजराती साहित्यनां हास्य-कथानको
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जेहवी सभा तेहवु आख्यान, खरि खरिनां छि शास्त्र निधान
विनोद (नां) जे संग्रह करि, निःफल न होई तेहिनी शिरि-१६ बुद्धिचातुर्य :
___ हास्योत्पादक परिस्थितिना सर्जनमां एक छेडे जो बुद्धिनी जडता - न्यूनता छे तो बीजे छेडे बुद्धिनं चातुर्य ने सूक्ष्मता पण छे. आ प्रकारनां कथानायकोमा हाजरजवाबी बिरबलनां पूर्वजो जेवां, वररुचि जेवां कविओनां, कवि के मंत्रीनी पुत्री जेवानां पात्रो य छे, ने बाषुना पग दाबतां दाबतां बापु मी विचार कराँ-विचार किं करा १-बाप. हे-न आवडो बधो मोटो आम ते लाकडानां टेका वगर शी रेहे ?' नो प्रश्न ऊभो करी, 'ले तारे तुं ज तोड काढ'नी बापुनी रढनो भोग बनी, भळतो कोई हास्यप्रद जवाब आपनार बापुनो हजुरियो होय छे डायरामां. बोलाती आ प्रकारनी वार्ताना पूर्वज-शो प्रबंधना एक कथानकनो पग दाबनारो बापुने पूछे छे, 'बकरीना पेटमां प्रवेशीने गोळगोळ वैद्यनी गोळी जेवो लींडी कोण वाळत हशे ? ने ए ज. अंते एनो उकेल शोधी लावे छे के 'बकरीना पेटनो वायु मळने गोळ गोळ ऊथलावी घमरियु खवडावे छे ने एथी एनां मळनी गोळ लींडी वळे छे.' आ पात्रवर्गमां बुद्धिना बडेखां बिहचलो. शशि-मूलदेव जेवा धूर्ती, विटो, विक्रमचरित्र, प्रदुम्न, सांब जेवा राजकुमारो, घट.. कर्पर ने खापरा के सहस्रबुद्धि जेवा चोरो, ठगारापुरनी वेश्याओ ने स्त्रीचरित्रथी बधांने. उल्लु बनावती चांपली मालणोनो समावेश थाय छे.
जो के मुर्खमंडळ अने हास्यने मध्यकालीन कथोसाहित्यमा अवियुक्त संबंध छे तेवो बद्धि-चातुर्य अने हास्यने नथी. बौद्धिक अने शारीरिक कुनेहथी कथानो नायक कोई राजकुमारीने रीझवी शके के भोग बननारने पजवी शके त्यां बधे ज कई श्रोता हसी शकतो होय एवं नथी. आम छतां मोटी संख्यामां आ प्रकारनां कथानको हास्य निष्पन्न करे छे. ..
विद्याविनोदना टुचकाओमां क्वचित हास्यने अवकाश मळे छे. राजा के प्रधानने न सझता ने पीडता प्रश्ननो सहेलो सट ने गले ऊतरी जाय तेवो जवाब कोई अभण के • 'टचकडी बालिका आपे छे त्यारे हास्य रमूज अनुभवाय छे. कवि वररुचि भूडो कोमना
संघाब शोधवा नीकल्यो. वृद्ध भरवाडे एने कह्यु, 'मारा कूतराने उचकी राजसभा सधी तमे आवो तो तमारा प्रश्ननो जवाब आपुं.' राजसभामां आवी भरवाडे कयु; 'जुओ सौथो मंडो लोभ एन आ प्रत्यक्ष उदाहरण. एक प्रश्नना जबाव माटे वररुचि जेवाए पण मारा कतराने उचक्यो." समस्यान्तर्गत हास्य
क्यारेक समस्याना निराकरणमां आर्छ स्मित आपे एवां कार्य-कारण आविष्कृत थतां होय छे. प्रश्नकर्ता कोई सामान्य परिस्थितिने उद्देशीने कोई प्रश्न पूछे छे, ने उत्तर आपनार पांडित्यथी ए सामान्य साथे विशेषने प्रयोजे छे. अहीं कथातत्त्व तो मात्र आछा पातळा तंत जेष ज रहे छे. ने एवा आछा-ओछां वार्तातत्वना अवलंबने विशिष्ट अर्थ के संदर्भनं उमेरण चमत्कत करे एवं अर्थदर्शन क्वचित् हास्यना स्मित, हसित, विहसित, उपहसित, अपहसित भने अतिहसित जेवा हास्यप्रकारो पैकी स्मितने अवकाश आपे छे. प्रबंध-चिंतामणिमां भोज आने धनपालना संदर्भमां आवु एक स्थान अहीं नोंधवा जेवु छे. राजा भोजे प्रासादना द्वारमा १२ शोध अने स्वाध्याय पृ०३८५
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