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________________ मध्यकालीन गुजराती साहित्यनां हास्य-कथानको आलेखायां छे, ते कृतिना अमुक अंशमां के कोई ढूंका कथानकमां. प्राचीन-मध्यकालीन मीमांसकोए कथा अने आख्यायिका एवा भेद स्पष्ट करीने कथाना जे विविध उपवर्गो दर्शाया' छे, तेमां क्यांय आविष्कृत रसने वर्गीकरणना धोरणरूपे स्वीकार्यो नथी. आथी कथाओना वर्गमां क्यांय 'हास्यकथा' एवो वर्ग नथी. हा, हरिभद्राचार्ये चार पुरुषार्थने दृष्टिमां राखीने करेलां वर्गीकरणमां 'कामकथा' एक वर्गरूपे दर्शावी छे. आनंदवर्धने तो रसतत्त्व पर चर्चाने केन्द्रित करी होवा छतां एणे दर्शावेला कथाना परिकथा, सकलकथा अने खंडकथा जेवा वर्गोमां रसने दृष्टिमा राख्यो नथी. आपणी परंपरा हास्यने कृतिनो अंगभुत नहीं, आनुषंगिक रस माने छे. आम छतां, विविध प्रकारना कथाना वर्गीकरणोमां हास्यकथानु स्थान निश्चित करवु मुश्केल नथी. हेमचंदाचार्ये करेलां प्रबंधात्मक काव्यना वर्गीकरणमा श्राव्यना एक उपपकार कथाना उपवर्गमां ११ प्रकारो दर्शाव्या छे ते पैकी एक प्रकार ते 'मन्थल्लिका.' प्रेतमहाराष्ट्र भाषामां लखायेली क्षुद्रकथा, गोरोचना, अनंगवती जेवी कथाओने मन्थल्लिकाना वर्गनी कही उमेयु छे के जे कथामां पुरोहित, अमात्य, तापस इत्यादिनो उपहास करवामां आवतो होय एवी कथाओ पण मन्थल्लिका कवाय' अन्य वर्गोमां कथाकृतिओनां दृष्टांत टाकता हेमचन्द्राचार्य अहीं कोई रचना दृष्टांतरूपे टांकता नथी. आठमी सदीमां अस्तित्व धरावतो 'भरडक-बत्रीशी' जेवी कृतिने अहीं दृष्टांतरूपे मूकी शकाय. आचार्य हेमचंद्रना ध्यानमां कां तो आ रचना नथी अथवा तो गुणानुरागी अने धर्मसमभावनी भावनाने कारणे एमणे उल्लेख टाळ्यो छे. हास्य-कथाने आम आ मन्थल्लिकाना वर्गमा समावी शकाय. मध्यकालीन गुजराती साहित्यमा हास्यने स्थान छे एवां मुख्य कथासंपादनो ने स्थानो नीचे मुजब छे. (१) मूर्खकथा १. मुग्ध कथानां छूटक कथानको ने संपादनो २. भरडक-बत्रीशी ३. आंधळे बहेरु ४. बोलने वळगनार-अडवानां पराक्रमो ५. विनोद-कथा-संग्रह (२) बुद्धि-चातुर्य १. छूटक कथानको २. विद्याविनोद समस्यान्तर्गत सूक्ष्म हास्य ..३. नटपुत्र रोहक-अभयकुमारनी कथाओ ४. धूर्तकथा-शशि-मूलदेव, प्रद्युम्न-सांब ५. सहस्रबुद्धि ६. बोले बांधनार-लंकाकांड ७. स्त्री-चरित्र १. कान्यानुशासन-स. प्रो. र.छो. परीख Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520757
Book TitleSambodhi 1978 Vol 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages358
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size9 MB
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