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________________ शत्रुजयगिरिना केटलाक अप्रकट प्रतिमालेखो 11. जुओ अंबालाल प्रेमचंद शाइ, “ भाषा अने साहित्य", गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास ग्रंथ ४. सोलंकीकाल, अहमदावाद १९७६, पृ.२९९. 12. एजन पृ. २९९-३००, + तेओ वस्तुपालना समकालिक हता अने संस्कृत पर सार एवं प्रभुत्व घरावता हता. x ‘गल्लकज्ञाति' विषे माहिती अल्प मात्रामा उपलब्ध छे. दंडनायक आह्लादन, जेमणे ई. स० १२४९मां अणहिलवाड पाटणना वासुपूज्य जिनालयनो उध्धार करावेलो, तेओ 'गल्लककुल दंपक' होवानु' वर्धमानसूरिकृत वासुपूज्यचरित्र मां नोध्यु छे. ..' * पण देरीओना पछीथी भंगपश्चात् जीर्णोद्धारो थता रह्या छे. 13. सं० पं० भगवानदास हरखचंद, अमदावाद, वि० सं० १९८५, प्रलो० २०७-२०८ 14. जुओ पुरातनप्रबंधसंग्रह (सिंघो जैन ग्रंथमाला, ग्रंथाक २) कलकत्ता १९३६ मां से. जिनविजय मुनिनु प्रास्ताविक वक्तव्य, पृ८. प्रस्तुत संग्रहनो 'P' संज्ञक प्रतमां तत् संबंधी अंतिमोल्लेख छे. 15. जुओ सं. मुनिराज श्री विद्याविजयजी महाराज, प्राचीन लेख संग्रह (भाग-१लो), भावनगर १९२९, पृ ३४. 16. cf. A. Shah, " Some Inscriptions", मुंबई, १९६८, p. 169. + जुओ मुनि श्रीन्यायविजयजी, जैन तीर्थोनो इतिहास, भावनगर १९४९, पृ.१९९. 17 जुओ मुनिराज श्री जयन्तविजयजी, श्रीअर्बुद प्राचीन जैन लेख संदोह (आबू-भा-बीजो) उज्जेन वि० सं० १९९४, लेखांक १, श्लोक ३९-४१. * एजन, लेखांक ९१. 18. जओ दलाल, "प्राचीन" तथा जिनविजयजी "प्राचीन" प्र. ४४-४६. लेखांक ३४-३७. 19. देशाई, पृ. ५९७. कंडिका ८७९ 20. cf. Umakant P. Shah, Brahma-Santi and Kaparddi Yaksas, Journal of the M. S, University of Baroda ( number - unspecifi.d in the off-print). pp. 68. fig. 13 21. cf. A. Sbah, “Some Inscriptions" Fig. 2. 22. "श्री शत्रुजय चेत्त परिपाटी विवाहला'मां नीचे मुज़ब उल्लेख छे. बईठो मंडपि गोयम गणहरो वंदउ बहुविह लबधि मणोहरो ॥१६॥ (आनु संपादन साराभाई नवाबे "पंदरमा मैकानी बीजी शत्रुजय चैत्य परिपाटी" ए शीर्षक हेठल श्री जैन सत्य प्रकाश क्रमांक १६६, वर्ष १२ अंक ४, १५ मी आन्यु. १९४७, पृ.१००-१०२ पर कयु छे.) आ सिवाय एक अनामी कर्तानी 'श्री सेत्तुज चेत्त प्रवाडि"नु हाल प्रथम लेखक संपादन करी रह्या छे, तेमां नीचे मुजब उल्लेख 'खरतरवसही'ना संदर्भमां मळे छे: गोयम मंडपि जाई करि गणधर नमीयहं पाई. २० 23. प्रतिमानी शैली चौदमा शतकना प्रारंभनी छे, तेम ज अन्य कोई गणधर प्रतिमा शत्रुजय पर न मळी होई उपर्युक्त अनुमान वाजबी जणाय छे. सं. ४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520757
Book TitleSambodhi 1978 Vol 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages358
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size9 MB
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