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शत्रुजयगिरिना केटलाक अप्रकट प्रतिमालेखो
शत्र'जय पर अगाउ मळेला लेखोमां सौथी पुराणा तो केवळ बे अ, अने ते पण ईस्वीसननी अगियारमी सदीना छे जेमां एक तो छ अगाउ निर्दिष्ट पुंडरीकस्वामी (सं. १०६५/ई.स.१००९) नो, अने बीजो छे श्रेष्ठी नागयणनी प्रतिमानो, सं० ११३१/ई. स. १०७५नो. अहीं ऊपर रजू करेल आ बे लेखो श्रेष्ठी नारायणवाळा लेखनी लगोलगना समयना होई, अगियारमी सदीनी शत्रुजय परनी अद्यावधि अल्पप्राप्त अभिलेखीय सामग्रोमां आथी उमेरो थाय छे.
आ लेख सं० ११८९/ई०स० ११३३ नो छे. कोई सो(शो)भनदेवे शत्रुजयतीर्थमां संभवस्वामीनी प्रतिमा कराव्यानो ढूंको उल्लेख छे. ____ संवत् ११८९ वैसा(शा)षे महं श्रीसो(शोभनदेवेन । संभवस्वामिप्रतिमा श्रीस(श)जयतीर्थे कारिता ॥
(४) चौदेक मास रहीने फरीने ते ज व्यक्ति द्वारा, सं० ११९०/ई.स. ११३४ मां, पोताना कल्याण माटे शत्रुजयतीर्थ पर प्रतिमा (नाम नथो) करावी, जेनी प्रतिष्ठा ब्रह्माणगच्छना यशोभद्रसूरिना (शिष्ये १ नाम गयुं छे) करावी. यथा :
, संवत् ११९० आषाढ सुदि ९ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीयशोभद्रसूरि..........
शत्रुजयतीर्थे महं: शोभनदेवेन स्वयं श्रेयसे प्रतिमा कारापिता ।।
संवत् ११९० नो एक बीजो, पण खंडित, लेख नीचे मुजब छे. [हर्ष पुरीयगच्छना कोई आचार्य (नाम गयु छे ) [ना शिष्य ? ] जिनरुद्रे पोताना श्रेयाथै कोई (नाम उडी गयु छे) प्रतिमा करावी. (नाम जिनभद्र' होवू घटे . 'जिनरुद्र' नाम जैनाचार्यो माटे आम तो संभवतुं नथी.)
संवत ११९० वर्षे (फाल्गु !) ......[हर्ष]पुरीयगच्छे श्री...... जिनरुद्रेया स्वश्रेययसे......[प्रतिमा कारिता ।छ ।
___पबासण परनो आ लेख शत्रु जयतीर्थ पर महामात्य श्री अंबाप्रसाद (तथा तेमना बंधु) देवप्रसादे) शांति नामना पोताना पिताना श्रेय माटे शांतिनाथनी प्रतिमा करावी एवी हकीकत नोंघे छे. संवत्ना मात्र त्रण ज अंक आपेला छेः सं० ११८. सामान्य नियम एवो के के आवा किस्साओमां वर्षने चार अंकनु मानी, त्रीजामां शून्य मूक. तेम करवाथी प्राप्त गर्नु वर्ष सं०११०८/ई०स० १०५२ जेटली आ लेखनी लिपि प्राचीन जणाती नथी: अने ए काळे कोई अबाप्रसाद नामना महामात्य थयानु प्राप्त साधनोथी ज्ञात नथी. लेखमां कहेल महामात्य श्री अंबाप्रसाद जे 'गाळा' ग्रामना 'भट्टारिकादेवीना से. ११९३ / ई. स. ११३७, तथा सं० १२०(१)/ई. स. ११४(५)" ना लेखमां कहेल 'महामात्य अम्बप्रसाद' होय तो आपणा मा पचासणन वर्ष सं० १(२)१८ ई० स० ११(५)२ नु अने एथी कुमारपाळना समय अथवा एथी वहेलं गणीए तो सं-११८(०)/ ई.सं.१९२४नुं वा सिद्धराजना काळ गणवं ओईए. प्रस्तुत महामात्य अम्बाप्रसाद (के अंबाप्रसाद) जयसिंहदेव सिद्धराज तथा कुमारपाळ एम बने सम्राटोना समकालिक हता, ए तो गाळाना लेखोथी सिद्ध छे.ज. सांप्रत लेख
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