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मधुसूदन ढांकी - लक्ष्मण भोजक
परथी प्रस्तुत महामात्य अंबाप्रसाद जो आपणा आ लेखना महामात्य अम्बप्रसादथी अभिन्न होय तो, गाळाना लेखना अम्बाप्रसाद जैन होवानुं सूचन मळे छे. अतिहासिक दृष्टिऐ आ नानो प्रतिमालेख आधी मूल्यवान साबित थाय छे.
सिद्धराजने अम्बाप्रसाद नामना एक जैन मंत्री हता ( अने तेओ वादी देवसूरिना प्रेमी हता) ते वात प्रभाचन्द्राचार्यना प्रभावकचरित्र (सं०१३३३ / ई० स० १२७७-७८ ) मां नोंघायेली छे. " तेओ उत्तम कवि हता. एमणे साहित्यना अलंकारोनी मीमांसा करतो 'कल्पलता' नामक संस्कृत ग्रंथ रचेलो अने तेनापर 'कल्पपल्लव' अने 'कल्पपल्लवशेष' नामनी बे टीकाओ रचेली. आ पैकीनी 'कल्पल्लवशेष' नी हस्तप्रत वि०सं० १२०५ / ई० स० ११४९नी मळती होई, प्रस्तुत रचना ते पूर्वे बनी गई होवी जोईए. 12 आ प्रमाणो लक्षमां लेतां आपणा आ लेखना अम्बप्रसाद पण प्रस्तुत मंत्रीराज ज होवा जोईए, अने लेखनुं वर्ष सं० १९८ (०) / ई० स०११२४ गणीए तो ते बधारे ईष्ट लेखायः
संवत ११८ वैशाख वदि १० श्रीशत्रु जयतीर्थे महामात्य श्री अम्बाप्रसाद ठ० श्री देवप्रसादाभ्यां - श्री शांतिनाम्न स्वपितुः श्रेयोर्थं शांतिनाथ - प्रतिमा कारिता ।। ( ७ )
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संवत १३०३ / ई०स० १२४७ नो भरावेल 'शांतिनाथ' ना बिंबना पबासणनो छे:
टूको लेख 'पल्लीवाल ज्ञातिनी श्राविका 'सोमी' ए
सं० १३०३ व० माघ सुदि १४ सो०मा०शूल सुतन्भावड पुत्रिका सोमी आत्मश्रेयोर्थं श्रीशांतिनाथ देवबिंबं कारापितं । छ । पल्लीवाल ज्ञातीय ॥ ( ८ ) एक सफेद आरसनी श्रावकनी ऊभी आराधक मूर्ति नीचेना लेखमां कोई जगपाले पोताना पिता (नाम अपूर्ण, दादानुं नाम बिलकुल गयुं छे) नी मूर्ति '- याद' ग्रामे करावी एम कयुं छे. गामना नामना आगला अक्षर उडी गया छे: (पालियाद हशे १) संभव छे के आ मूर्ति मूळ शत्रुमां मूकवामां नहोती आवी. लेखन वर्ष छे सं०१३१३/३० स० १२५७ :
संवत १३१३ वर्षे फागुण सुदि ७-यादप्रामे० महं( प्रनास ?) - मूर्तिः सुत जगपालेन कारिता ।।
•स्तुत महं०
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सं०१३३४/ई०स० १२७८नो आ लेख आदीश्वरनी ट्रंकमां त्रीजी फरतीमां 'वी सविहरमान' मंदिरनी पाछळ देरोमां पचासण पर अंकित छे. लेख 'मुनिसुव्रत स्वामिनं चिंत्र देवकुलका साथे कराव्या संबधी छे. प्रतिष्ठापक आचार्य 'नागेन्द्रगच्छ' ना कुलगुरू ऊदयप्रभसूरिना शिष्य भट्टारक महेन्द्रसूरि हता. आ ऊदयप्रभसूरि ते नागेन्द्रगच्छीय विजयसेनसूरिना शिष्य एवं 'धर्माभ्युदयकाव्य ' तथा 'सुकृतकीर्ति कल्लोलिनी' सरखी, महामात्य वस्तुपाल संबंधी, सुप्रसिद्ध रचनाओ करनार आचार्य ब हशे तेम लागे छे. + ऊदयप्रभसूरिनु नाम साचवतो आ लेख आधी महत्वनो बनी रहे छे. कारापक गल्लकx शातिना छे ते वात नोंघनीय छे. लेख आ प्रमाणे छे :
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