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संघपति खीमचंद रास पीतलम उ झाझण-विहारि मरुदेवी-नंदणु आगलि हय आरुहि उ बिमल देवी आणंदणु ॥३॥ विहु भुवणिहि जे जगति-माहि देउलिय जिणंद ते सवि पूजिय पावहरण फेडण दुह-कंद श्रीमाता आगलि विट्ठ रिसिय तिरक्खी डूंगर-विवरिहिं अंचि देवि अरबुद मन हरखी ॥४॥ पूज अवारी धजा माल अनु इंद्र महोच्छव पमुह सुकिय किय खीमचंद संधाहिवि नव नव सिरीपाल परबतु मनइ बोहिथु भिमसीह च्यारि महाधर सधरपणइ थापिया अबीह ॥५॥ भांडारिउ पोपउ पयंडु जिणियउ सिलहत्थो पच्छेवाणु पारसु पसंसि नामिहिं सुकयत्थो अचलेसर वणसिरि विसिह मंदागिणि-पमुह संघ-लोय पिक्खेवि चलिय रेवइगिरि समुह ॥६॥ धवली वीरु नमंति संति जिणवर वीजोया कोली पुणि वरकुलि समिद्धु रतनागरु जोवइ । थीराउद्दि सिवराणि मानु दोघउ संघपत्ते तिरिवाड़इ जिण नमइं संघु चहु भुवणिहि भत्ते ॥७॥ झंझूवाड़इ पासु नमिउ सिरि कुमरविहार संधु उमाहिउ चित्ति घणउ भणि नेमि कुमार वज्जाणइ वधमाणु नमी वढमाणि पहूतउ अंचिउ जिणवरु संतिनाहु वधमाणु संजूतउ ॥८॥ साहेलइ नमि वीरु धीरु सिरिधारिहिं आवई खीमचंदु संघपति भत्ति संघिहि तहि पावइ मेघु वलावइ लियउ सधर आवासिउ खेमि जनइगढि जिणहरिहिं बूढु दक्षिण करि हेमि ॥९॥ भेटिउ तहि महिपालु राणु अप्पिउ सम्माणु रेवयगिरि आरूड्इ पाज संघाहिवु जाणु नेमिनाथ वज्रमइ बिबु नमि दंड-प्रणामि पापु हरि उ गयंदमई कुंडि जलि विमलि सनानि ॥१०॥"