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________________ ५८ अगरचन्द नाहटा भंडाणइ भत्तह भयहरणी, चडकुलदेवि सेवि वर वरिणी; तासु सेस सीसिहि धरवि ।। अह फलवधिपुरि पासु पसंसिउ, रूण संति आसोप नसिउ, उवएसिहि वधमाणु नमि ॥१४॥ मंडोवरि पणमिय पय पास, वीरु महेवइ पूर इ आस, राडदहि नमि वीरु जिणु । साचउरिहि संपत्तउ संघो, वीरु नमी किउ पाय उलंघो, न्हवण विलेवण पूज करे ॥१५।। जिणहरि उच्छवु वार सवार, रंगि पत नाचइ किरि अपछर, न्हवउ वीरु घिय कलसभरे । सधणु वरइ माला ऊघट्ट, कव्व कवित्त भणइ बहु भट्ट, जीरावलि णि (३) ऊमहिय ॥१६॥ ॥घात ।। अह संघाहि सधर सुविचार संघाहिवु सुगुणनिधि संघु मेलि भट्टणयर हूंतउ । नागउरि गुरि तिलक किउ संघपूज अति सुजस पत्तउ । साचउरिहि सिरि वीरजिण भुवणिहि न्हवण विसाल । इणि परि सदरथि भुजबलिहिं भिड़ि भंजिउ कलिकालु ॥१॥ द्वितीय भाषा रतनपुरिहिं सोलमउ जिणिंदु पणमिउ दुह-हरणु जिराउलि पहु पासनाहु निरखिउ सुह-करणु त्रिविध प्रदक्षण त्रिविधपूज त्रिहुकरण-संजुत्तो खीमागरु मण-हरसियउ दाणि घण जिम वरिसंतो ॥१॥ महा पूज धज अनइ सार आवारीय भंडई खीमचंदु संघवइ रोरु दूथिय जण खंडइ आवडगरि धवलि पाज हेलइ आरूहए देवलवाडउ देखि संघु हियडइ गहगहए ॥२॥ विमलदंडनायक-विहारि रिसहेसरू नमियउ णिग वसही नेमिनाहु आणदिहि न्हविय उ
SR No.520756
Book TitleSambodhi 1977 Vol 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages420
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size16 MB
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