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________________ अगरचन्द नाहटा कल्याण बइ त्रिहु सुठामि नमि जिगवर बिंब आइनाहु पूजियउ संघि सेजि पडिबिंब ॥११॥ मरुदेवी अनु कवड़ि जक्खु राजल निरखते रहनेमी अंवा पलोई अवलोयणि जंते सामि पजूनह नमी नेमि जिणहरि आवते महापूज करि देइ सुधज दाणिहि वरिसंते ॥१२॥ अन्न भवारी मंडि सुथिरु जसि जगतु भरते रास भास खेला सुचंग रंगिहिं नाचते मुकलावी जिणु सेस लेइ निज सीस धरते वलि जूनागढि खीमचंदु चित्तिहि हरिसंते ॥१३॥ मंगळउरि पहु पासनाहु नवपल्लव पूजिउ । देव[प]इणि ससिपहु नमेवि मणि वंछी पूजिउ ।। अंबिक कोडीनारि नमी दीविहि पहुपासा । अनिहि न्हवियउ धृतकलोल मंगल-निवासो ॥१४॥ महुआई तारामाइहि चीर घोधिहिं नवखंडो। जो कलिकालिहि कप्परुक्खु दुह-दलण पयंडो ॥ वालकडि सिरि रिसहु वीरु लमि पालीताणइ हिव कवि सेवज तिस्थुराउ बहु बुद्धि वखाणइ ।।१५।। ॥घात ॥ लघि दुग्गम लंधि दुग्गम गरुय सुविसाल गिरिमाल अवलोय वण-सरिय-कूम-आराम-महु (?)-गढ उत्तंग अब चंगतर नर अणेग जोइय सुदिढ मढ गिरिगरुअई गिरनारि चढे नेमिनाहु पणमंति खोमागरु संघपति इम निज भवु सफल करंति ॥ तृतीय भाषा गिरि कडणिहि नमि नेमि जिणु माल्हंतडे पर विणि लेइ विश्रामु । सुणि० आगलि मइंगलि आरुहिय मा० मरुदेविय अभिराम ||१॥ सु. अंचि संति अनु अजिय जिणु मा० अदबुद आदि प्रणामु । सु० कवडिल रंगि ‘वधावियउ मा० जसु अति घणु गुणग्राम ॥२॥
SR No.520756
Book TitleSambodhi 1977 Vol 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages420
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size16 MB
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