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वसुदेवहिण्डी की शब्दावली
णि सण (३२.१०) = नीरस, रसरहित गिसिट्ठ (४४.५) = तानी हुई तवस्सिणी (६०.१९) = तपस्विनी = असहाय, बिचारी तवोवहाण (१२.११) = तपोपधान = तपोकर्म [सूत्रकृ. तवोषहाण] दारिंगा (११.१९) = दारिका = लड़की (पासम. दारिआ] दंदय (४४.१६) = एक प्रकार का जंगली जानवर [संडिमोवि. दुन्दुजल-कुक्कुट] दुद्दिण (८.५) = दुर्दिन = सिक्त, व्याप्त दुभिक्ख (३३.५) = दुर्भिक्ष = अकाल दूसकूटी (६४.११) = दूष्यकूटी तंबू धुत्ति (४ ३.५) = धौर्य-धूर्तता नासावंसअ (६५.२०) = निभड्ड (४२.२६) = चोर सेनापति के साथी या नौकर निदव(व्य) (३१.२६) = निद्रव्य = निर्धन निसिरिय (६०.१६) = निःसृत = खिसका हुआ [पासम. णिस्सरिअ] नेभएछ (४८.१२)-निर्भ = तिरस्कार करना [पासम. णिब्भच्छ] पखिव (१०.३) = प्रक्षिपू = फेंकना पच्चपाय (३८.५) प्रत्यपाय = कलंक, च्युति, दुर्गति परचुगच्छ (५८.२४) प्रत्युद्गच्छ अभिमुख जाना [पासम. पच्चुग्गच्छणया-भगवती सू.] पयोइम (५६.२१) = प्रचोदित = प्रेरित, आगे चलाया [पासम. पचोइअ) पञ्चोविय (६४.९) = प्रति+ओविय = खचित, जटित, विभूषित [पासम. ओथिय] पष्टिवोक्ख (६५.१२) - प्रति + उपस्कृ = सजाना, तैयार करना पणियवाड (३९.८) = पण्यवाट = बाजार, शराबवाडा [पासम. पणिय] परभवणिया (५६.१३) = पराभवनिका = पराजिता [पासम. परिभवण] परिदरिद्द (६१.२८) = परिदरिद्र = बहुत गरीब परिखुम्बल (३३.२८) = परिदुर्बल = अति दुर्बल परियंद (११.२८) = झूलाना, लोरी गाना परियंदणय (१२.५) = लोरी परिवडिअ (७४.२४) = परिवर्द्धित = बढ़ा हुआ परिविअ (७.१८) = परिवृत, परिवीत = घिरा हुआ पुत्तभंड (७३.१७) = पुत्रमाण्ड = एक ही माता-पिता के पुत्र-पुत्री पुरचरण (५२.२१) एक तपश्चर्या-विधि पुरिग्छमिल्ल (४४.९) = पौरस्त्य = पूर्व दिशा सम्बन्धी [पासम. पुरच्छिमिल्ल ] पुष्षभासि, पुष्वाभासि (५८.२०, ७६.२) = पूर्वभाषिन् = शिष्टभाषी पूलिआ (७.२७) = पूलिका = घास का भारा या पूला [पासम. पूल] बंभणी (३१.७) = प्राहाणी बाकरणि (६३.१७) मल पूर्वक कार्य