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. तरंगलाला ता तुज्झ महिलियाओ अस्थि इहं अच्छरा-सरिसियाओ। अणुभुत्त-काम-भोगो करिहिसि पच्छा वि तं धम्मं ॥१५७१ रज्ज-समं तारन्त(?) अम्हे-वि य बे-वि पुत्तयं च इमं । सव्वं च दव्य जायं पुन्तय किं ने परिच्चयसि ।।१५७२ वासाणि कइवयाणि काम-भोगे निरुस्सुओ भुंज।। पच्छग्गे परिणय-वओ चरिहिसि उग्गं समण-धम्मं ।।१५७३
अम्मा-पिऊहिं एव' तेहिं कलुणं तहिं भणिओ तो । भणइ चरण-निच्छिय-मइ दिद्रुतं सत्थवाह सुओ ॥१५७४ जह कोसियार कीडो नियय-सरीर-कएण अण्णाणी। हिय-कामओ निरंभइ अप्पाणं तंतु-बंधेण ॥१५७५ तह मोह मोहिय-मती(उ) विसय सुह-कामओ दुह-सएहिं । इस्थि-कएण निरु भइ अप्पाणं राग-दोसेहि ॥१५७६ तो राग-दोस-दुक्ख-दुओ सया विविह जोणि-भव-गहणं । मिच्छत्त-समुच्छण्णो पडिही संसार-कतारं ॥१५७७ न-वि तह बहुयं सोक्खं हवति य पुरिसे पियाए लंभम्मि। पावइ जह' बहुतरयं दुक्खं थीसु विओगम्मि ॥१५७८ मग्गिज्जतो दुक्खं जणेइ लद्धो य रक्खण-कएणं । सोये कुणइ विणट्ठो तो 'किर दुक्खावहो अत्थो ।।१५७९ अम्मा-पियरो भाउय-भज्जा पुत्ता य बंधवा सुहिया। एते सिणेह-मइया निगडा. नेव्वाण-मग्गस्स ॥१५८० जह सत्थ-समारूढा सहाय-लोभेण दुग्ग-मग्ग-गआ। अणुपालेति वयंता. जणा जणं. सत्थ-जाग णं(?) ॥१५८१ निकतारा य पुणो कत्थ य ठाणाउ ते पयहिऊणं । .. अण्णोण्णएहिं वच्चइ पंथेहि जणो जणवयम्मि ॥१५८२ एवमिह-लोय-जत्ता बिइज्जिया हेति बंधवा नाम । सुह-दुक्ख-मत्त-परिपालणत्थ-जुत्तीकय-सिणेहा ॥१५८३ xxउवि संजोग-विओइओ पुणो बंधवे पमोत्तूण । बच्चंति नियय-कम्मोदएहिं नाणा-गति-विसेसे ॥१५८४ वसमक्खिय-निच्चब'धेण (?) एगंतर उवगएण । रागो परिहरियव्वो अवरागो मुत्ति मग्गो त्ति ॥१५८५ लक्ष्ण धम्मबुद्धिं गुण पणियमकालियं गहेयव्वं । जाव न करेइ च बला. आउ-परिच्छेदणं कालो ॥१५८६.