SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नरोत्तम पलाणं -घडामाथी प्राम चालुक्य विजयराजना ई.स ६४२ ना ताम्रपत्रमा 'स्वामी महासेन पादानुध्यासाना-'म स्वामी महासेन-कार्तिकेयना चरणोनु ध्यान धरता चालुक्य वंशनो निर्देश छे. नवमारों तथा मुरतमाथी मंडेला ई.स.६७१ अने ६९२ ना शिलादित्यनां बे ताम्रपत्रो पण 'कार्तिकेय नी भक्तिी विभूपित बनेला छे. आ समयनी स्कन्दनी उपास्य-प्रतिमाओ पण गुजरातमा प्राप्त बने छ. शामलाजीथी प्राप्त उपास्य प्रकारनी एक स्कन्द-मूर्ति, एना अलंकृत हाथावाळा दंड अंने रत्नजडित शिरबंधने कारणे ई.स. नी सातमी सदीना उत्तरार्धनी 2. वडोदराथी प्राम एक हाथमा शक्ति अने बीजा हाथमां कुक्कुटधारी भग्नमस्तक स्कन्द मूर्ति, बडोदगा पासेना कपुगइ गामेी प्राप्त स्कन्दनी शोभन-मूर्ति अने कारवण पासेनी स्कन्द-मूर्ति ई.स.नी सातमी मदीनी मूर्तिओ छे. आ लेस्य साथे प्रसिद्ध थाय छे ते राजकोट जिल्लाना ढांक गामनी स्कन्द-मूर्ति मारा मत म जब हाल गुजरातमा प्रात मोथी प्राचीन आस्य प्रकारनी स्कन्द-मूर्ति छे.१५ एक हाथमां शक्ति (दंड या भाली), बीजा हाथमां आत्मज्ञानना प्रतीक समो कुकडो, ठीगणी काया, गळामा लोकेट विनानो एकावलो हार, बलभीर्थी प्राप्त केशिनिषूदन कृष्णनी मूर्तिमा जोवा मळता काटेवस्त्र म, कांटेवस्त्र अने कुंइळयुक्त लंबकर्ण तथा जटाजूट आ मूर्तिने ई. म.६० नटरावे छे. गुजरातमा कन्द-पूजा केवा व्यापक प्रमाणमा प्रसरेली हती तेना आ प्राचीन पुरावा साथे मोचमदिरमा आवेली ई. म. नी आठमी सदीनी उपास्य स्कन्द-मूर्तिी, दशमी सदीना कच्छकैराना मंदिरमा आवेली स्कन्द मूर्ति, बारमी सदीना वडनगर तथा कपडवणजना तोरणोमां आवेली स्कन्द-प्रतिमाओ, डभोइनी ई. स. १२५३ नी वैद्यनाथ-प्रशस्तिमा लवणप्रसादे वढवाण शहेरनी नीकमा मागर साये स्पर्धा करतुं, चांदनीथी उज्जवल स्कन्दन मंदिर' बंधाव्यानो उल्लेख, पोरबन्दर पासे विसावाडाना तेरमी सदीना त्रिगृहप्रसादk स्कन्द-मंदिर, पोरबन्दर तालुकाना जबाछोडा गामे चौदमी सदीना शिवमंदिरनी कार्तिकेय-मूर्ति अने साबरकांठा जिल्लाना भेटाळो मामना शिवपंचायतन मंदिरमा आबेलं पंदरमी सदीनुं स्कन्द-मन्दिर पूर्तिरूप बनी रहे छे. १४. मा अने आ पछीनी त्रण स्कन्दमूर्तिमी प्रकाशमा लाववानो यश डॉ. उमाकांत शाहने पाळे आय छे. तेमोश्रीए मा मूर्तिभो 'कुमार' ना मार्च ५५, ओगस्ट ५५ अने भवेम्बर ५५ मा भकोमा प्रसिद्ध करेल छे. तेओश्रीए शामळाजीनी स्कन्द-मूर्तिनो समय पश्चिमो सैको आपेल छे ते मने सातमीनो पूर्वार्ध जणाय छे, ज्यारे अन्य त्रण मूर्तिओना काळ-मिर्णय परत्वे हॉ. शाह साथे हुं सहमत थाऊ छु. . १५. मा मूर्ति मारा तरफयो 'कुमार' जुलाई ७१ ना अंकमा 'सौराष्ट्रनी विरल मूर्ति' नामक लेखमालामो प्रसिद्ध थयेली छे. १६. जुमओ श्रीमरोत्तम पलाणः 'Times of India' ता० २६ फेब्रुआरी १९७३, "New Light on Temple Idols." १७. आ मूर्तिनी प्रथम मोध मा लेखके लोधी छे, जेनो विगतवार परिचय हवे पछी प्रसिद्ध थनारा 'करछनी विरल मूर्तिओ' नामक लेखमा. १८. डॉ. गौदानीः 'गुजरातनो भव्य भूतकाळ' पृ०१५६ .
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy