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________________ गुजरातमाथी लुप्त थयेली छाप जोवा मळे छे, तेमज खुद कुमारगुप्त अने स्कन्दगुप्त नाम पण स्कन्द-पूजानी असर सूचवे छे. आ समयनी अनेक स्कन्द-मूर्तिओ प्राप्त छे. तेमज अन्य प्रमुख देवप्रतिमाओ साथे स्कन्दनु तक्षण थयेलुं छे. मथुरा म्युझियममां आवेली वे नानी द्विभुज स्कन्द मूर्तिओ तथा शिवब्रह्माथी अभिषेक पामती मयूरासनस्थ स्कन्द-मूर्ति गुप्तकालीन होवानी नोंध वासुदेवशरण 'भारतीय कला' (पृ० ३१८)मां करे छे । भारत कला भवन, काशीमां आवेली अतीव सुन्दर स्कन्दमूर्तिनी विगत श्री रायकृष्ण दास 'भारतीय मूर्ति-कला' (पृ० ११५) मां आपे छे. मध्य--प्रदेशना देवगढनी ई. स. नी पाँचमी सदी नो विख्यात शेषशायी विष्णुनी मूर्तिमां उपर आकाशचारी देवोना समूहमा मयूर उपर बेठेला स्कन्द पण दृश्यमान बन्या छे. आ पछी अनेक स्थळे, अनेक मंदिरोमां स्कन्दनु अस्तित्व नोंधी शकाय छे.. ई. स. नी छहो-सातमी सदीना ऐहोल तथा कुंभकोणम् मां, सातमी सदीनी बादामी गुफा मां, आठमी सदीनी प्रख्यात इलोरा गुफाओ तथा कैलास-मंदिरमां, नवमी सदीना भुवनेश्वर मन्दिरमा अने दशमी पछी तो चोलराजाओने हाथे अनेक स्वतंत्र स्कन्द-मंदिरोनु निर्माण थयेलु छे. दक्षिण भारतमा आजे तो एक पण गाम भाग्ये ज स्कन्द-मूर्ति के स्कंद-मन्दिर विनानुं हशे ! बंगाळना अमुक विस्तारोमा हाल पण मागसर सुद छठने कार्तिकेय-षष्टी तरीके उजववामां आवे छे अने स्कन्दनी माटीनी मूर्ति बनावी, पुत्रप्राप्तिअर्थ तेनी पूजा करी विसर्जन थाय छे. गुजरातमा एक काळे स्कंद-पूजा प्रचारमा हती. अत्रतत्र प्राप्त पुराणकथाओने आधारे आजनु खंभात स्कन्दे करेला तारकासुरना वधनी भूमि छे. एक मत मुजब 'स्कन्द'नु 'खेम' थई खभात बनेलं छे. आ क्षेत्रने स्कन्दपुराण 'कौमारिका' खण्ड तरीके ओळखावी तेना तीर्थोनी स्थापना स्कंदहस्ते थयानी आख्यायिका आपे छे.° स्कंदपुराणना ज नागरखण्डमां बडनगरनुं एक नाम 'स्कंदपुर' छे. पाटणना सहस्रलिंग तळाव उपर स्कंदनु एक मंदिर हतुं, जेनी स्कन्दमूर्ति सिद्धराज जयसिंह अवंतीथी लाव्यानी कथा सरस्वतीपुराण आपे छे". आ उपरांत हेमचंद्र पोताना द्वयाश्रय काव्यमा जूना राजाओए पाटणमा कार्तिकेयनु मंदिर बंधाव्यानुं नौधे छे, स्कन्द-पूजा गुजरातमा होवानु' अनुमान हवे प्राप्त शिलालेखो अने मूर्तिओथी; पण थई शके छे. ई.स.नी बीजी-त्रीजी सदीना माळवामाथी प्रास स्वामी जीवदामाना शिलालेखमा पोते स्वामी महासेन कार्तिकेयनो उपासक होवानु जणावायु छ: सातमी सदीना खेड़ा, नवसारी तथा सुरतमाथी प्राप्त चालुक्यना –ण ताम्रपत्रो स्कन्द-पूजा . परत्वे प्रकाश फेंके छे.१३ ९. श्री उदयनारायण 'गुप्तसम्राट और उनका काल' पृ० २५१ १०. स्कंदपुराणना 'कौमारिका खेड' मा उल्लेखित घणा तीर्थो, खंभातनी आजुबाजु हाल हयात छे पण तेमांथी एक कुमारेश्वर ई. स. नी दशमी सदी जेटला प्राचीन अवशेषो धरावे छे. अन्य स्थळी सोळमी-सत्तरमी सदीना छे. जुओ डॉ. रमणलाल महेताः 'कौमारिका खंड अने खंभात', 'स्वाध्याय' ओगस्ट ६५.. ११. श्री कनैयालाल दवेः सरस्वतीपुराण पृ०२२७ । १२. 'गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास' ग्रन्थः २ पृ. २८२ . .. १३. श्री गिरजाशंकर आचार्यः 'गुजरातना ऐतिहासिक लेखो' 'ग्रंथः १ चालुक्य वंशना लेखों'
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
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