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साधारणधिय धम्मि सघर धन्नागर घरणी । वयरा हल्हा रयणसोह परिवारह जणणी ।। इय निय-परियण-कलत-पुत्त-परिवार-संजुत्तउ । सोहइ महियलि महिमवंतु नयणउ जयवंतउ ॥७॥
॥ घात ॥ जंबुदीविहि,जंबुदीविहि नयरु भटनयरु तिह राजा हंबीरवरो न्याय चाय चहुदिसि पसिद्धउ तह नाहर-वंसि धरु नागदेउ खिमधरु समिद्धउ गुल्ला साख-सिंगार-करो डालण कुलिहि पवित्तु धम्म-कम्म-उज्जोय-करु नयणागरु जयवंतु ॥८॥
द्वितीय भाषा .. . . अन्न दिवस नयणागरिहिं मेलिउ निय-परिवारु । त विक्कागरु संघपत्ति तहिं त वीघउ बुद्धि-भंडारु ॥१॥ त गुन्ना-नंदणु अतुलबलो वइरो वीनवि ताम । त भुल्लण-संघपति-कुमरु त सज्जणु सच्चउ नामु ॥२॥ त धन्ना-सुतु वल्हउ सधरो त हल्लड सुयण-सहारु । त निय-मनि धरि उच्छाहु धणउ वीनवियउ परिवारु ॥३॥ सिद्धखेतु मथुरापुरिय तीरथ-जात्र करेसु । सप्त खेति वितु वावि करे हउ जीविय-फल देसु ॥४॥ त वीधउ वइरो वयणु सुणि मणि वियसिय पभणति । जात करहु कुलु उद्धरहु जिम जगि जस पसरंति ॥५॥ त वडगच्छिहि मुणिसिहरसुरे सिरियतिलय सुरिराय । तसु पट्टि भदेसरसरि गुरो मुणिसरसूरि पसाय ॥६॥ देवालइ थिरु थप्पियउ नाभि-नरिंद-मल्हारु । त प्रस्थानउ करि गहगहए गुजरि-तणउ भतारु ॥७॥ वइसाखह वदि बीय दिणे पोपा-कुल-सिंगारु ।। त करमागर-संघपति-सहिउ चालइ संघु अपारु ॥८॥