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प्रथम भाषा
पहिलउं पासु सुपासुनाहु भाविहि पणमेवी । अनु मणवंछिय देइ माइ वाघुल कुलदेवी ॥ नयणागर-संघपत्ति-रासु मनरंगि भणीजइ । मथुरापुरि-तीरस्थ-जात्र आरंभु थुणीजइ ॥१॥ जंबूदीवह भरहखेति भटनयरु पसिद्धउ । राजु करइ हमीरराउ भुयबलिहि समिद्धउ ॥ नाहरवंसिहि रायहंसु बिहु-पक्व-पवित्तउ । पुहवि पयड्ड नगदेउ साहु धण-कण-संजुत्तउ ॥२॥ पंच पुत्त तमु मेरु जेम अविचल धर धीर । खिमधर गोरिकु पुरुषरयण फम्मण वर वीर ॥ कुलधर कमलागर पवीण तिणि वंसि पवित्त । धम्मधुरंधर देवगुरुह भत्तिहिं संजुत्त ॥३॥ खिमधर पुत्त पवित्त चारि पहिलउ सुंगागरु । गुज्जउ बीजउ पुत्तु सधरु अगणिउ गुल्लागरु ॥ चउथउ ठक्कुरु नामि दीण-जण-मण-आसासणु । विणय विवेक विचार सार गुण धम्मह कारणु ॥४॥ गुल्लासंभवु धर-पवीणु डालणु गुणआगरु । डालण-नंदण वेवि थुणउ मोहिल धन्नागरु ॥ मोहिल वर घरधरणि राम जिम सीता राणी । जगसीही निय-पुत्त-जुत्त परिवार-समाणी ॥५॥ तासु कुक्खि गुणरयणरासि हंबउ पभणीजइ । कुलदीपकु चहु देसि सयलि नयणउ जाणीजइ ।।। नयणा-संघपति-घरणि नाम गूजरि सुपहाणी । भागि सुभागिहिं रयणकुक्खि गुण गउरि-समाणी ॥६॥