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________________ नेमीश्वर बाललीला फाग रमलि करति जिम कमलि मराल, सोलकला शशिधर सुविशाल, उरि . मुगताफल-हार ॥२४॥ वनि वनि भंग भ्रमति जिणि लीलां, स्मलि करति तिम जिन सवि वेलां हेलां गंजिय मार ॥२५॥ धरि पुरि नयरि भमति गिरि-शृगि, क्रीडा करइ ति सौवर्ण-गि, रंगि नेमिकुमार ॥२६॥ गज रथ घोडे थाइ असवार, साथिं यादवराय परिवार, सोवर्ण-सार श्रृंगार ॥२७॥ आविउ आनंदि जिण एक वेलां, भमत भमत तीणइं आयुधशाला, . लीलां - लीधु शंख ॥२८॥ जाणे जगत तणुं जस पीधुं, जिनपति शंख सुखि मुखि दीधु ___कीअतिहि निनाद ॥२९॥ पंचयज्ञ पुरिउ परमेसरि, तिणि नादिं आकंपिया. सुर-हरि नर-हरि नइ . बलभद्र ॥३०॥ राजसभा हुइ सकल अचेत, कृष्ण कृष्ण मन हूउ भयभीत, जिनपति बलिहिं अनंत ॥३१॥ शंग टलक्कइ धूमई पर्वत, तिणि नादि आकंप्तिउ रैवत, दैवत मानि आकंप ॥३२॥ सुर तणउ भारग तिणि बुरिउ, नागलोक नादि, परिप्रिल, चुरिउ हरि भन-जंप ॥३३॥ फाग पौरुष निज तनु परिहरि, हरि मनि हुउ आकंप, जंपइ कोइ सवारइ, वारइ अउ अजंप ॥३४॥ आसा-तरूअर सूकउ, मूकउ निय-मनि मान, राज अछइ अम्ह परहणुं, परहणुं नरग-निधान ॥३५॥ आदरि साहस पुणरवि, गरविं आपइ बाह, पेखतां सुरनर स्वामीअ, नामी हरि तणी बाहं ॥३६॥ कुतिगि तु रहीउ जिनवर, मणहर-बाह लंबावि, तिणि खिणि हरि--कोपारुण, प्राण करइ तिहां आवि ॥३७॥
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
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