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कनुभाई शेठ प्रयुक्त करवानी यथार्थता पर असर पाडी शकतो नथी. वस्तुनः ते आना विधानने वधु उपयुक्त होवानुं सूचवे छे. वधु मूलभूत वांधाभो खास करीने लुन्ड [Lund] शहेर ना सी. डबल्यु ए वानस्यीहो भने प्रागूना एल्बर्ट बेस्सेल्स्कीए उठाया छे. पण आ बन्नेमांथी एकेये समग्र परंपरानो सर्वतोमुखी ख्याल ग्रहण थाय ते अर्थे, सर्व ज्ञात लेखित अने मौखिक रूपो जेमा प्रकट थयां छे, एवी सामग्रीनी यथार्थ तैयारी करवा अगे कोई वांधी उठान्यो नथी. पण अन्य दृष्टिथी आ प्रमाणे सगृहीत सामग्री- अर्थघटन करवा अंगे विरोध उठाव्यो छे. मूळ केन्द्रथी कथानु प्रसरण तरंग-सम (wavelike) अने नवा प्रकारान्ते उपस्थित करेला अन्य केन्द्रोमांथी पण एज प्रमाणे तरंग-सम गति थाय छे. - मुख्यत्वे आवी धारणा मार्ने भने एन्डरसननी आ मौखिक कथाओनी अभ्यास करवानी प्रथामां राखवामा आवे छे. कथा- क्रमशः अने समतल प्रसारण पण वास्तवमा मा प्रथानो मनिवार्य अंश नथी अने एन्डरसने मा प्रसरणना विविध प्रकारना प्रतिरोधोनो निर्देश करवामां काळजी पण राखी छे. पण वानस्योडोने लागे छे के आ पद्धतिना अभ्यासके पोतानो अभ्यास ए धारणा पर वधु पडतो आधार राखीने कर्यों छे के कथा क्रमशः एक जातिमाथी अन्यमां, माईलथी माईल प्रथम समन प्रतिमा, त्यारबाद समम राज्यमा भने अंते कदाच विश्वमा प्रसार-प्रचार पामे छे. भा संदर्भमां ए माने छे के आ प्रक्रियामां आपणे सामान्यतः मानोए छ'ए ए करतां पण मोटी फाळ होय छे. लेखित रूपान्तरो, प्रवासीओ, सैनिको इत्यादि जेम एन्डरसने मूचन्यु छे तेम, कथाने सुदीर्घ प्रवासे लई जाय छे भने एनी विविध देशमा स्थापना भई गया पठी ते नवा प्रकारान्तर सर्ने छे. आ खास स्थानिक विकासमा वानस्योडो विशेष रस धरावे छे.
केटलाक देशोमा [केटलांक जातिगत के राजकीय जुथ के जेओ पोते एक स्वतंत्र जुथ तरीके होवा विशे समान होय छे] प्रत्येक कथाने एर्नु विशिष्ट रूप होय छे जेने मूळढाचो [Orkotyper] कहे छे, के जे अमुक देशमा तळपदी लेखाय छे. ते अन्य स्थाने 'विदेशी' लेखाय छे. मामान्यतः ते सुदूर भूतकाळमाथी वशपरंपरागत अपनार्यवामां आवी होय छे-जो भ्रमण-कथामओ होय छे तो ते भारोपीयना सामान्य मादिकालमाथी नहीं के विदेशमाथी-अपनावामां आवी होय छे. अन्य मूळ ढांचा [Oikotype] माथी आवेला सुर्धारा [Modification] ने अनिइच्छाए अपनाववामां आवे छे.