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लोककथा मध्ययमनी ऐतिहासिक भौगोलिक पद्धति उमेरो करे छे.
१. लोक कथानकना स्वय-सुधारणना नियमो
__ [Laws of Self -Correction in Folk-narrative] २. कथाना खास प्रकारान्तरणनी रचना के निर्माण
[Formation of Special reduction of tale) ३. कथाना प्रसरणनी दिशा [ Direction of dissemination of folktale]
कथानी स्वयं--सुधारणाना नियमो १ कथाना सर्व रूपान्तरोनु परीक्षण करतां एमी सतत परिवर्तन पामती विगतोनी मध्यमां कथातत्त्वनी स्थिरता खास ध्यान खेंचे छे. एन्डरसनने लागे छे के आ कथात त्वनी स्थिरता अभण के अणघड कथाकथकने आभारी छे, एम न कही शकाय. केमके कथानुं शब्दशः पुनरावर्तन भाग्ये ज शक्य छे. अने मौखिकपणे कहेवायेला बे रूपान्तरो भाग्ये ज एक सरखा होय छे. आ स्थिरतानां कारणो आ प्रमाणे आपी शकायः १. दरेक कथा-कथके ते कथा पाताना आख्यायक पासेथी एक करता वधुवार श्रवण करी होय छे. २. सामान्य नियम तरीके एणे ते कथा कोई एक व्यक्ति पासेथी नहीं पण कोई एक पूर्ण वर्गना सभ्यो पासेथी सांभळो होय छे. घणीवार तो भिन्न भिन्न रूपान्तरोमा प्रतिभासपन्न श्रोतामो प्रायः कथा-कथकनी भूल सुधारे छे. अने ए रीते कथाने एनी मूळभूत परंपरानो नजीक आणे छे. घणा रूपान्तरोनो श्रोता पोते श्रवण करेल विविध रूपान्तरो परथी एक मान्यरूप [ Standard Form ] घडी काढे छे. अने मा प्रमाणे कथाने आकस्मिक रीते-दैवयोगे खंडित थई जती रोके छे. वळी जो तेणे कथाने एकबीजाथी तद्दन भिन्न एवां रूपान्तरोमां श्रवण करी होय तो ते ते बन्नेनुं एकबीजामा मिश्रण न थई जाय ए रीते कथन करे छे.
शक्तिसंपन्न कथा-कथक कथा-तत्त्वनी स्थिरता जाळवी राखनार एक महत्वनी व्यक्ति छे कोई पण कथानक के जे सुदीर्घ कालपर्यन्त जीवत रहयु होय एमा अवश्य कोई तार्किक तथा कलात्मक एकता होवी जोईए. जेने केटलीकवार अणघड कथक [bungler] खंडित करे छे पण कुशळ-कथक एजें योग्य मूल्यांकन करी तेनो यथार्थ विनियोग करे छे. एनुं रूपान्तर अवश्य लोकप्रिय बनशे भने कथाना जीवातुभूत तत्वोनो जाळवणी परत्वे प्रबळ प्रभाव पाडशे.