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________________ ५० कनुभाई शेठ उ. त. क. स्वर्ग केटलं ऊंचु छे स्व. सागर केटलो ऊंडो छे ग. सागरमां केटलो जळराशि छे ! **** **** **** 2 फ. हुं शुं विचार करु छं ३. कथानकनी अन्य विगतो [other details of Narrative] (अ) समस्या - पृच्छानुं निमित्त - कारण (ब) प्रश्नोना [ समस्याना ] उत्तरो आपवानी समयमर्यादा (क) प्रश्नोना उत्तरो आपवानी निष्फळता अगे दंड (ड) प्रश्नो जेने पुछाया छे ते व्यक्ति भने उत्तरो आपनार व्यक्ति वच्चेनं शारीरिक साम्य (s) अदला बदलानी प्रक्रिया केव। रीते सधाय छे (ई) कार्यनुं अंतिम परिणाम उपर रजू करेली विगतोना अवलोकनथी ए स्पष्ट थशे के आ कह कथानुं विविध कथा घटकोमां करवामां आवेलुं विभाजन नथी, पण कथाना विविध रूपातरोमांधी प्राप्त प्रकारान्तर [ variation ] नी सर्व शकयताओने प्रकट करवा अर्थे करवामां आवेल कथानुं पृथकरण छे. आ पृथकरणना कार्य पछीनुं कार्य छे आ शकयताओनो नौंध करवानुं. आ अंगे स्वयं कथानी अन्वेषणा करी ते प्रत्येक चर्चाप्राप्त मुद्दाओनी केवी रीते मावजत करे छे, तेनी नोंध करवी जोईए. उदाहरणार्थे एन्डरसननी उपर्युक्त कथाना सूत्र १ ( ब ) परना एना निरूपण ने रजू करी शकीए आ निरूपण स्टिथ टोम्प्सने', आ प्रमाणे आप्युं छे : सम्राट [ रशियानो झार, तुर्की सुलतान अथवा खलीफा ] : Ronwelcher, जड GD २२ Jan V hollant, जन GN १ Gesta Rom, लीट ( Lit ) १ सर ( SR ) १-९, (१०), ११-२०, Fastnachtsp, मज GG ३२, ४४, ४५, ४८, ५४, ५५. २३, २४, (२५), सरस (SRW) १–५, सय (SU) १, ३–७, ९, १०.१३. जब GV १, २, ४ -७ १ जुओ, फोकटेईल, स्टिथ टोम्प्सन, १९४६, पृ ४३२ २ अहीं सुधी साहित्यिक रूपान्तरो छे
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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