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________________ लोककथा अध्ययननी अतिहासिक भौगोलिक पद्धति एक परिचय कनुभाई शेठ प्रस्ताविक लोकविद्या [ Folklore ] ना एक अंगरूप लोककथाना अभ्यासना विकास अने प्रचार साथे साथे लोककथानुं अध्ययन जुदी जुदी दृष्टिथी थवा लाग्यु. दृष्टिनी आ भिन्नतानी अपेक्षाए लोककथाना अभ्यास अंगे जुदा जुदा संप्रदाय के पद्धति अस्तित्वमा आव्यां छे. एमां अभ्यासनी शास्त्रीयतानी अपेक्षाए मैतिहासिक-भौगोलिक पद्धति विशेष महत्त्व धरावे छे. एटले अहीं ते पद्धति अनुसार लोककथाना अभ्यासनी रूपरेखा सक्षेपमा पापी छे.' तिहासिक भौगोलिक पद्धति प्रस्तुत ऐतिहासिक भौगोलिक पद्धति [Historic Geographic Method] फिनलेन्डी पद्धति [Finnish Method] तरीके पण जाणीती छे, केमके तेनो उद्भव फिनलेन्डमां थयो छे. अलबत्त पछीथी अन्य प्रदेशना विद्वानोए पण एना पर चर्चा-विचारणा करी छे मा पद्धतिना प्रथम पुरस्कर्ता प्रो. जूलियस कान्हे [ई. स. १८६३-१९३३] छे मा पछो आ पद्धति अंगे विशेषपणे अध्य यन करनार तरीके प्रो. वी. एन्डरसन. [V. Anderson] तथा प्रो. पी. एल एन्ड्रये वे [p. Andreye] ने गणावी शकाय. ई स. १९१३ मां कार्ल कान्हे आ अंगे विस्तृत अभ्यास करी आ पद्धतिने शास्त्रीयता आपी छे. एमणे आ माटे आंतरराष्ट्रीय संस्था 'फोकलोर फेलाझ' [F F] नी स्थापना करी, आ संस्था द्वारा ते पछी लोककथाना अभ्यास अंगेना अनेक पुस्तको बहार पाड्यां छे. लोककथाना अध्ययननी आ ऐतिहासिक भौगोलिक पद्धतिनी केटलीक मर्यादाओ के दोषो अंगे गंभीर टीका-चर्चा थई होवा छतां ते अनेक कथाओनी १. आ पद्धति अगेनी भने प्रस्तुत करेली माहिती लोककथाविदू स्टिथ टोम्प्सनमा 'द फोकटेईल' नामना प्रथने आधारे आगी छे जुओ 'द फोकटेईल' स्टिथ टोम्प्सन, न्यूर्याक १९४६, पृ ४३०-१८ २. आ पद्धतिमा दोष ऐ बतावधामा आवे छे के एमा शैलीगत अध्ययन, सामाजिक, पृष्ठभूमि, व्यक्तिगत रूपान्तरोनो क्या साथेनो संबध इत्यादि मुद्दाओनी उपेक्षा करषामा आवे छे एमा मात्र स्थामिक तेमज प्रादेशिक स्रोतो सुधी पहोंचवानो प्रयास होय छे.
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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