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________________ । म शाह गुरु-स्तुति-चर्चरी नदउ पुंडरीअ-गोयम-पमुह गणहर-वसु । नामगहेण वि ह जाहं फुडु जायइ सिव-सुह-फंसु ।।१।। जिणवर पत्ता मोक्ख-पुरि संघह मारगु देउ । तित्थ पवत्तइ गणहरहिं सासय-सुक्खह हेउ ।।२।। आसाढह जिंब जलहरु गाजइ मोर उलासु । तिव गुरु-आगम-देसण भवियण-मणह चियासु ॥३॥ सावण सलिलिहिं महीयल जिंव ओल्हावइ दाहु । पावह तावु तिय भवियण सझाय-झुणि मुणिनाहु ॥४|| भाद्रवइ भरु नीरहं सरवर सरिय पसरंति । सुह-गुरु सम-रसि भरिय पुण सरि सरि उविउ हरति ।।५।। आसोय सोहइ पुन्न ससि जिंव तारागणजुत्तु । अब्भ-विमुक्क गयणंगणि तिव गुरु मुणिहिं पवित्तु ॥६॥ कत्तिउ चंदि दिणिवह किरणिहिं नीमलु भाइ । सुरु गुरु झाणिहिं पूरीउ सास-सूर विणु पडिहाइ ॥७॥ मागसिर मागई मागु जिंव ववहार-वणिय-सत्थ । तिव गुरु मुय-ववहारिहि विहरइ धरणि पसत्थ ।।८।। पोसह पोसई निय-तणु विबिह-आहारिहि लोय ।। सुहु गुरु पोसइ सम रसि कारणि कम्म-विओय ॥९॥ माहह महियलु हिम-फरसु वाइ न चालण जाइ । सुगुरु आभितर-संठिउ बाहिरि कह वि न ठाइ ॥१०॥ फागुण फूलिय वणराई गुरु-गण हरिसु यहेइ । नं किर महुअर-झुणि मिसि रमणीउ चरिउ कहेइ ॥११॥ सोहइ वसंत पसंत-सिरि चेत्तह चाचरि चित्त । विसय-अजय सुह-गुरुह पय किर वंदण पत्त ।।१२।। वइसाहह सहयार-वणि कोइल महुर लवेइ । नं किर सुह-गुरु-आगमणु धामी वधावेइ ॥१३॥ दिण जेट्र जेठह जिव रषि किरणिहि खर तवेइ । तिव गुरु दुक्कर-तव-चरणि कढिण-करो य दीवेइ ॥१४॥ सहला ताहं जि दीहडा सहला ताहं जि मास । जे गुरु बंदइ विहिपरि ताहं जि पूरिय आस ।।१५।। ।। गुरु-स्तुति-चाचरि गूर्जरी-रागेण छ।।
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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