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________________ ४६ क भार चन्द्र अहिसंग १२१.१ (अभिषग) आसक्ति [पा मम. में 'अहिराम, अहिसंका, अहिसंधि' आदि है] आआरिअ ३.७३ (आकार्य)-पास मे बुला कर इन्चिअ १२४ (उचित)-एकात्रत [पा.स.म. मे 'उच्चइअ'] उजिंभ ११९ (उन्जृम्भ)-फैलना उवजण १२५ १ (उपजन) माथी लोग. परिवार के लोग दि (म्बइ। ३.५. (भति)-न्यूनना, कमी चक्किाद (इ) १.५ (चमत्कृति)-चमत्कार [पा सम में 'चमत्कार' 'चमक्किअ' हैं ] चुकिला (आ) ३१० (न्युनिता) च्युतिशीलता, नष्ट हो जाने का गुण [पा.स.म. में डाआसुअ ४६ (छायासुत)-शनि नाम का ग्रह णापदि २ २३ ८ (ज्ञाप्यने)-सचित किया जाता है णामीर २.११. ४.१४.२ (नासिर, नासीर)-आगाही करने वाला, आगेवान. णि पुण्ण २.५.२ (निप्पन्न)-सिद्ध. [पा.स.म.में 'णिप्फण्ण' है ] णुद ४१३ (नुन)-स्तुत तिमिहआ४.७ (वृष्णिका)-तृष्णा थाविअ ४.१ (स्तोकित)-थोडा किया गया, अल्पकृत दिहा १.३८ (दिशु)-दिशा पउत्य ४२३.२६ (प्रवृत्त)- प्रवृत्ति की गयी पच्चइस १२९.३५ (प्रत्येष्यामि)-विश्वास करुंगा [पा.स.म. में 'पच्चश्य', 'पञ्चय' हैं परंतु मूल धातु और उसके अन्य रूप नहीं हैं] पजाण १.१ (पर्यानत)-झुका हुआ [पा.स.म. में 'पज्जाउल' है ] पणअण १.१२ (प्रणयन)-रचना पत्त १९ (पात्र)-नाटक के पात्र के अर्थ में पम्म ३ १०; १.८ । पद्मा-एक पुष्प [पा स.म में 'पउम, पोम, पोम्म' मिलते हैं। परामिस ३५५ (परामृश)-पेछिना, स्पर्श करना पा स.म में 'परामरिस, परामुस,' मिलते हैं] परिक्किद अ) ४.२३.१५ (परिष्कृत)-सजा हुआ परिवरिह ३.३३ (परिबई)-सम्पत्ति, परिवार पसत्ति १ १२.१० (प्रशस्ति)-प्रशंसा पममच्छिअ २ २४ (प्रसमीक्ष्य)-प्रकर्ष से देखकर [पास.म मे 'पसमिक्ख' धातु “के रूप में दिया गया है]
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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