________________
शृङ्गाम्मचरीकी शब्दावली
पारिसअ ४.२३.१६ (पारिषद)-शिव की सभा का सदस्य
१२.२ -सभासद [ पा.सम मे 'पारिमग्ज' हे] पुप्फाउह १.२ (पुष्पायुध)-कामदेव [पा.स म. में 'पुष्पावत्त, पुण्फमाण' है] मग्ग २.३७ (मग्न)-डूबा हुआ, तल्लीन मथिक्क ४.३ (मस्तिष्क)-मिर महुव्वअ ३.२४ (मधुव्रत)-भौरा विउणेमि ३.४६ (विगुणयामि)-दु म्बी करना हूँ। विउणाविआ ३.१४ (विगुणापिता)-दोपारोपण किया गया [पा.म.म. में 'विश्ण'
विशेपण के रूप में है] विण्णायअ १ २४ विज्ञापको सूचित करनेवाला [ 'विण्णय' के अन्य रूप पा.म.म में है। धीरुअ २.४० (वीरुध)-पुन पुनः पनपनेवाली एक पुष्पमयी लता या पौधा संरज्जए १.२८ (संरञ्जते)-अनुरक्त होता है [पा म.म. में 'रज्ज. अणुरज'. और
___ 'संचर, संतप्प' इत्यादि हैं ] सालिदा(आ) १.१ १ (शालिता) शोभा [पा.स.म. मे 'सालिणी, मार्मिणा' है। सुअती ४.२ (सुदती)-सुन्दर दांतो वाली सुंभ ४.१३ (शुम्भ)-मारना [पा.स.म. में 'णिसुभ' के रूप है] सुहाधाम १.३६ (सुधाधाम)-चन्द्रमा [पा.स.म. में 'मुहाकर' है ] सेअंबु १.२ (स्वेद+अंबु)-पसीने की बूंद सेल्स १.५ (शैलूष)-नट हरिआ ४२५ (हरित)-दिशा ध्यान देने योग्य कुछ अन्य शब्दरूप इस प्रकार है : आकीडं १६ (आकीटम्)-कीडे तक आबम्हं -१.६ (आब्रह्माणम् । ब्रह्मा तक अत्तदा १.२९.३७ (आप्तता, आप्तत्व)-विश्वसनीयता णिट्टदा २.९.१ (निष्ठता, निष्ठा)-निष्पत्ति, स्थिति सुहिददा ३.३ (सुखितता, सुखित्व)-सुख का भाव फहेत्ती १.१७.८ (कथयित्री)-कहनेवाली वीहांत ४.१३ (विभवत्)-होता हुआ एदाहि ३.४० (एतस्मात्) यहाँ से, इससे [हेमचन्द्र और अन्य व्याकरणकारी ने इस रूप को उधृत किया है। पिशल (४२६) ने व्याकरणकारों का संदर्भ दिया
है, किन्तु किसी अन्य से यह रूप उद्धृत नहीं किया है।