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________________ उत्तर भारत में जैन यक्षी अम्बिका का प्रतिमानिरूपण अम्बिका की एक मध्ययुगीन मूर्ति प्राप्त होती है।" ललितमुद्रा में विराजमान सिंह वाहना अम्बिका की दक्षिण भुजा भग्न है, पर बाम मे पुत्र स्थित है। अन्लुआरा से प्राप्त और पटना सग्रहालय में संकलित (10194) बड़ी मूर्ति में भजाओं की मामग्री स्पष्ट नहीं है। पर दाहिने पार्श्व की पुत्र आकृति उसे अम्बिका मनि बतलाती है।" मानभूम जिले के पक्वीरा से भी एक खण्डित मूर्ति प्राप्त होता है। दाहिनी भुजा खण्डित हैं, पर बायीं में पुत्र स्थित है। अम्बिका नगर (थानकुरा) से भी सिंह बाहना अम्विका को एक खण्डित मूर्ति प्राप्त होती है। यश्री की एक अवशिष्ट भुजा पुत्र के मस्तक पर स्थित है। वरकोला से भी पद्म पर यही अम्विका की एक मूर्ति प्राप्त होती है / * सिंहवाहना अम्बिका की वामभुजा में पुत्र की बंगुलगा स्थित है। शीप भाग मे आम्रफल के गुच्छक और जिन आकृति उत्कीर्ण है। लेना मे उपर्युक्त मूर्तियों की तिथि के उल्लेख नहीं किये गये हैं। ललितमुद्रा में आसीन सिंहवाहना अम्बिका की दो मूर्तियां नवमुनि एवं वारभुजी गुफाओं में नेमि के साथ उत्कीर्ण है। नवमुनि गुफा के उदाहरण में शीर्षभाग में आम्रगुच्छकों से सुशोभित यक्षी की भुजाओं में आम्रलुम्बि एवं पुत्र स्थित है।" जटामुकुट से सुशोभित अम्बिका के समीप ही दूसरा पुत्र (निम्न) आमृनित है। बारभुजी गुफा के उदाहरण में यक्षी की दाहिनी भुजा में फल और बायी में आम्रवृक्ष की टहनी प्रदर्शित है। शीर्ष भाग मे आम्रवृक्ष से युक्त यक्षी की बायीं भुजा के बगल (कोख) मे उसका पुत्र स्थित है। क्षिण भारत : उत्तर भारत के समान ही दक्षिण भारत में भी द्विभुजा अम्बिका का चित्रण विशेष लोकप्रिय रहा है। अम्बिका के साथ पुत्रों एवं वाहन सिंह के प्रदर्शन में नियमितता प्राप्त होती है। पर गोद के स्थान पर सामान्यत: दोनों पुत्रों को बाम पार्श्व में आमूर्तित किया गया है। आम्रलुम्बि का प्रदर्शन उत्तर भारत की तुलना में * जोली, अर्जुन, 'फर्दर लाइट आन व रिमन्स एट पोइसिगिदि', उष्टीसा हिस्टोरिकल रिसर्च जर्नल, ख० 10, 4, 1962, पृ 31-32. प्रसार, एव. के , 'जैन नोजेज इन व पटना म्धू या', श्री महावीर जैन विद्यालय गोल्डन जुबिली वाल्यूम, बबई, 1968, पृ 289 मित्रा, कालीपद, 'नाट आन हजैन इमेजेन', जर्नल विहार उड़ीसा रिसर्च सोसायटी ख. 28, भाग 2, 1942, पृ. 203. 41 मित्रा, टेबल,सन जन ऐन्टीक्वीटिजफ्राम बानकुरा प. 11. नित्रा, देवल, 'मम जेन एन्टीक्वीटीज फ्राप मानकग', वेस्ट बंगाल', जर्नल एशियाटिक सोसायटी, ख. 24, भ. 2, 1958, पृ. 13-133. " मित्रा, बबल, 'शासनदेवीज इन ध सम्बगिरि केस' जर्नल एशियाटिक सोसायटी, (गाल), ख, 1, अ. 2, 1959, पृ. 129. 80 तदेव, पृ. 132.
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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