________________ 42 मारनि नन्दन प्रसाद तिवारी काफी अनियमित रहा है। दक्षिण भारत में शीर्ष भाग में आम्रफल के गुच्छकों के प्रदर्शन के स्थान पर आम्रवृक्ष के उत्कीर्णन की परम्परा प्रचलित रही है। मृत अंकनों एवं अंमेलोयको साक्ष्य के आधार पर यह सर्वथा निश्चित है कि अम्बिका दक्षिण भारत की तीन सर्वाधिक लोकाप्रय यक्षियां (अम्बिका, पद्मावती, प्वालामालिनी) में से एक ही है। मन्ययुग में जहा कर्नाटक में पद्मावती सर्वाधिक लोकप्रिय रही है, वहाँ नामिलनाडु में अम्बिका को सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त थी। पत्रिका की प्राचीनतम ज्ञान मूर्ति अयहोल (कर्नाटक) के मेगुटी मन्दिर (6345.1 प्रान होनी है। ललितमुद्रा में सामान्य पीटिका पर विराजमान द्विभुजा यक्षी की नीना गुजा पण्डित हैं। पर शीप भाग में आम्रगुच्छको एवं चरणे के नीचे सिंह पाहन का उत्कीर्णन यक्षी के अग्दिको होने के निश्चित प्रमाण है। आमपरू के गुफ्छकों क.मन्य ही दा मयूर एवं दो सिंह आकृतियों के चित्रण से कान्तार का भाव व्यक्त है। यत्री की याम भुजा के अवशिष्ट भाग से उसका भूमि पर स्थित रहा होना निश्चत है। वाहन के पीछे वाम पार्य में अम्बिकाका पुत्र उत्कीर्ण है, जिसकी एक भुजा में फल स्थित है। अम्बिका के दोनो पार्यों में 5 सेविका आकृतियां उत्कीर्ण है, जिनकी भुजाओं में पुष्प, चामर, फल एवं पात्र स्थित है। दाहिने पार्च की एक सेविका की गाद में अवस्थित पुत्र (निर्वस्त्र) निश्चित ही अम्बिका का दूसरा पुत्र है। ____ काची की आनन्दमंगल गुफा की सभी स्थानक अम्बिका मूर्तियों में सिंहवाहना अम्बिका की पाम मुजा पुत्र के मस्तक पर स्थित है। 18 त्रावनकोर राज्य के एक स्थल से प्राप्त उदाहरण / ५वीं-१०वीं शती) में सिंहवाहना अम्बिका (खड़ी) की दाहिनी भुजा से घरद व्यक्त है, पर वायों नीचे लटक रही है। बाम पार्य में दाना पुत्र अवस्थित है। तमिलनाडु के कलुगुमलाई से प्राप्त एक मूर्ति (१०वी-११वीं शती। मे सिंहवाहना अम्विका की दाहिनी भुजा एक बालिका के मस्तक पर स्थित है. और बायीं में फल या आम्रलुग्वि, प्रदर्शित है। वाम पाश्र्व में दो बालक (पुरुष) आकृतियां अवस्थित है। एलोरा की जैन गुफाओं में भी अम्बिका की कई मूर्तियां (१०वीं-११वीं शती) प्राज होती हैं। जिन में पूर्ण विकसित आम्रवृक्ष के नीचे आसीन द्विभुज अम्बिका . मंगुटा मन्तिम चाबुक्य शासक पुलकेशिन् द्वितीय का शक स वत् 556 (635-635) का भय उन्कीर्ण है। जिन्स, चार्ल्स, चालुक्यन आर्कटेक्चर, पृ. 31, फलक . " नाई पी. बी., यक्षी इमेजे। इन साउथ इन्डियन जैनिजा', डा. मियशी फेली सिटशन वाल्यूम, नागपुर, 1367, पृ. 345. इस.के. पी. बा. जैनेजम इन साउथ इन्डिया एन्ड सम जैन इपिप्राफ्स, शोलापुर, " पुत्र के स्थान पर पुत्री के चित्रण (अपारम्परिक) का आशय अस्पष्ट है, कयेत कि समीर ही .. साई, गैनिजम इन साउथ इण्डिया, पृ. 64.