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________________ मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी अम्बिका का एक पुत्र उसकी उंगली पकड़े और दूसरा गोद में अवस्थित होगा। सिंहवाहुना यक्षी फल, आमालुवि, अंकुश एवं पाश से युक्त है।" दिगम्बर परम्परा . प्रतिष्ठामारमंग्रह में सिंहवाहना कुष्माण्डिनी (या आम्रादेवी) को द्विभुजा एवं चतुर्भुजा बताया गया है। ग्रन्थ में आयुधों का उल्लेख नहीं किया है। प्रनिष्ठामारोद्धार द्विभजा अम्बिका का ध्यान करता है और उसकी दक्षिण भजा से आम्रलुम्बि एवं वाम में पुत्र (प्रियंकर) के प्रदर्शन का निर्देश देता है। आम्रवृक्ष की छाया मे अम्बिन यत्री के समीप ही दमरा पुत्र (शुभंकर) भी निरूपित होगा।' अपराजिनन्छा हिमजा अम्बिका की भुजाआ में फल एवं वरद का उल्लेख करता है। अविका के ममीप ही उपस्थिन दोनों पुत्रों में से एक उसकी गोद में अवस्थित होगा। दिगम्पर पांगरा के एक तांत्रिक प्रन्थ में सिंहासन पर विराजमान चतुर्मजा अम्बिका की भुजाओं में शंख, चक्र, वरद एवं पाश का उल्लेख किया गया है।" उसी प्रन्थ में अष्टभुजा अम्बिका का भी ध्यान किया गया है। प्रन्थ में उल्लेख है कि ने पनाथ की आकृति के नीचे पट्ट पर अंकित आम्रकुष्माग्डिनी शंख, चक्र, धनुप, परशु, तोमर, खड्ग, पाश और कोद्रव धारण करती है।10 सिनवाला असारमअ-वाहणो नित्थस्स रक्ख कुणति पृ० 11] उसी ग्रन्थ में आप्रवि धारण करनेवाली अम्बिका के अहिच्छत्रा में भी स्थित होने का उल्लेख है। सिदयुद्ध में प्टिन अम्बिका के शीर्पभाग मे नेमिनाथ की मूर्ति स्थित है (पृ. 15) / सिंहयाना हे वर्गा मिबुद्धसमन्विता। कमान दुन्धिभत्ता गिरनाम्या सइ पविघ्नहत् // विविधतीर्थकल्प उर्जयन्त-स्तव. 13. , पाह, उपाकान प्रेमानन्द, 'आइनाग्रफी आव द जेन गाडेस अम्बिका ', जर्नल आव द युनिवर्सिटी आव बोम्बे, ख०१ (न्यू सीरिज), 1940-41, पृ०१६. . वी कुमाहिनी यम्य सिंहगा हरितप्रभा / चतुर्हस्तजिनेंद्रस्य नहाभक्तिविराजित // दिभुजा मिहान्टा भानादेवी हरिप्रभा / प्रतिष्ठासारसंग्रह पृ 64,66 / मध्यका युगप्रियकरसुतुक्षात्य का विनंती दिव्यावस्तबक शुभकरकराश्लिष्टान्यहस्तालिम् / मिहे भर्तृवर स्थिता हस्तिनापामदुमच्छायगा वगढ़ दशकार्मुकोन्यूयजिन देवीपिहाया यजे // प्रतिष्ठासारोद्धारः 3 176 प्रतिष्ठातिलकम् : 7 22, पृ० 357 / , हरिद्वां सिंहमस्था विभुजा च फल बरम / पत्रेणोपास्याना च सुत्सना तथाऽम्बिका / / अपराजितपृच्छा : 221.36 / " शाह, 'आउकनाग्रफी अम्बिका ..', पृ० 16. दवी चतुर्भुज जम्वचक्रावपाशान्य स्वरूपेण सिंहासनश्चिता .' शाह, आइकनाग्राफी अम्बिका .., प. 161 शाह ने परम्परा के अनुरूप ही अष्टभुजा अम्बिका का अक्न करने वाले एक चित्र का उल्लेख किया है। चित्र में अम्बिका के दक्षिण करा में कोदव, रिशूल, चाप, अभय, एवं वाम मे मणि, पद्म, शर, मामलुमि प्रदर्शित है। वाहन सिंह ममीप ही चित्रित है। शाह ने चित्र की तिथि का उल्लेगा नही किया है।
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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