________________ उत्तर भारत में जैन यक्षी अम्बिका का प्रतिमा-निरूपण मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी दोनों परम्परा में २२वे तीर्थंकर नेमिनाथ की सिहवाहना यमी को अम्बिका (या आम्रादेवी) एवं कुष्माण्डिनी नामों से सम्बोधित किया गया है। (क) शिल्प-शास्त्रों में श्वेताम्बर परम्परा निर्वाणकलिका में सिहवाहना एवं चतुर्भुजा कुष्माण्डी की दाहिनी भुजाओं में मातुलिग एवं पाश, और बायीं में पुत्र एवं अकुश प्रदर्शित है। सभी परवर्ती अन्य समान विवरणों का निर्देश देते हैं, पर उनमें मातुलिंग के स्थान पर आम्रलुम्बि के प्रदर्शन का उल्लेख हे। ज्ञातव्य है कि आम्रलुम्बि एवं पुत्र सिंहयाइना अम्थिका के विशिष्ट लक्षण हैं। मंत्राधिराजकल्प में अम्बिका की भुजा में बालक का उल्लेख नहीं किया गया है, पर आम्रलुबि के प्रदर्शन का निर्देश है। ग्रन्थ में कुष्माण्डिनी की कटि के समीप ही उसके दोनों पुत्रों (सिद्ध एवं बुद्ध) की उपस्थिति का भी उल्लेख है।' शोभन सूरि कृत स्तुतिचतुर्विशतिका में भी अम्बिका के समीप दोनों पुत्रों के प्रदर्शन का निर्देश दिया गया है। अम्बिका-ताटकम् में उल्लेख है कि चतुर्भुजा 1 कूष्माण्डी देवीं कनकवर्णा सिंहवाहना चतुर्भुजा मालिकधाशयुक्वक्षिणकर पुत्राहकुशान्वित वामकग चेति // निर्वाणकलिका 18,22 देवतामूर्तिप्रकरण ' 71 ....अम्बादेवी कनककान्तिपचि मिहबाहना चतुर्भुजा आम्रचम्बिपाशयुक्तरक्षिणकर नया पुत्राह कुशा सक्तवाप्रकर या च // प्रवचनसारोद्धार 22, पृ० 94 देखें [1] त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित 89385-386, [2] आचारदिनकर . 34, 10 177, [3] पद्मानंदमहाकाव्य परिशिष्टि-नेमिनाथ 57-58, [v] रूपमण्डन . 19, पृ० 208 अन्य में पान के स्थान पर नागनात का उल्लेख है। 3 कुष्माण्डिनी पाशाम्रचम्बिसणिसत्फलमावहन्ती। पुत्रव्य करकटीतटग च नेमिनाथक्रमाम्मुजयुग शिवदा नमन्ती // मैत्राधिराजकल्प. 365 नेमिनाथचरित. 1.22, पृ० 252, विविधतीर्थकल्प में सिंहबाहिनी अम्बिका को प्राचीन तीर्थ मथुरा की रक्षा करनेवाली बताई गई है (इस्थ कुबेरा नरवाहणा अम्थिया सीहवाहणा