________________
गौतम पटेल
१८
शब्दों व सिद्धांतों में साम्य : __ अनेक बार तो कालिदास एक ही श्लोक में' गीता के अनेक श्लोको के शब्द और सिद्धांतों का सरलतया आलेखन करते है। उदा०
मनो नषद्वारनिषिद्धवृत्ति हृदि व्यवस्थाप्य समाधिवश्यम् ।
यमक्षरं क्षेत्रविदो विदुस्तमात्मानन्मात्मयवलोकयन्तम् ॥ इसके साथ गीता के समानता रखनेवाले श्लोकों को देखें।
१ सर्पकर्माणि मनसा सन्यस्यास्ते सुखं वशी ।
नवद्वारे पुरे देहे नैव कुर्वन्न कारयन् ॥ २ सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च। __ मून्याधायात्मन प्राणमास्थितो योगधारणाम् ॥७७ ३ त्वमक्षर परमं वेदितव्यम् । और अक्षरं ब्रह्म परमम् ।
४ ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना68 एक हो श्लोक में एक से ज्यादा गीता के शब्दों और सिद्धांतों को प्रस्तुत करनेवाले कालिदास गीता से कितने सुपरिचित होंगे । दुसरा उदाहरण भी देखिये
त्वमेव हव्यं होता च भोज्यं भोक्ता च शाश्वत ।
वेद्यं च वेदिता चासि ध्यानादू ध्येयं च यत्परम् ।। ब्रह्मा को जगन् का परमतत्त्व मानकर की गई स्तुति गीता के परमतत्त्व के विचारों को शब्दशः प्रतिघोषित करती है। (१) ब्रह्मार्पण ब्रह्म हविः ॥१० ईश्वर ही परमब्रह्म है। परं ब्रह्म परधाम ।11 (२) अहं तुरई यज्ञ स्वधाऽहमहमौषधम् ।
मन्त्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम् ॥१॥ (३) अहं हि सर्वयज्ञानां भोक्ता च प्रमुरेव च ।। (४) वेधं पवित्रमांकार.....14 (५) पुरुषं शाश्वतं दिव्यम्....सनातनस्त्वम् ।। (६) वेत्ताऽसि वेद्य च परं च धाम 110 (७) वेदैश्च सवैरहमेव वेद्यो वेदान्तकृद्धेदविदेव चाहम् । (८) स तं पर पुरुषमुपैति दिव्यम् ।। (९) पर ब्रह्म पर धाम . 119 (१०) त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।
कालिदास के श्लोकों में गीताके शब्द और भाव सूचित होते हैं।
ध्यानयोग ।
____ ध्यानस्थ शिव के वर्णन में कतिपय सिद्धांतों और प्रक्रियाओं का उल्लेख है जो गीता के ध्यानयोग के साथ आह्लादक साम्य दिखाते है। उदा...