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शिनकू यादव
उर्मिका का उल्लेख है ।" सम्भवत मंत्रर के समान चक्कर लगा कर बनाई गई अंगुठी को उर्मिका कहा गया है। त्रिपष्टिशत्यकापुरुषचरित में भी स्त्री के आभूषणों के रूप में अंगुठी का उल्लेख है । १७ मुद्रिका का प्रयोग स्त्री-पुरुष दोनों करने थे जो अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने चाँदी आदि की बनवाई जाती थी । इसे कण्ठाभरण के साथ उल्लिखित किया गया है । भी रिवाज था, भर्तृहरि ने इसे कलाई का आभूषण आया है कि योधेय जनपद में कृपकों की स्त्रियां सोन अन स्पष्ट है कि हरिभद्र के काल में कंकण का प्रचलन
समराइच कहा में प्राचीन काe में कंकण पहनने का है ।"" यशस्तिलक में * कंकण पहनती थीं । ** स्त्री-पुरुष दोनों ही में धा ।
नूपुर-समराइचकहा में
गया है।
इसे स्त्रियों के आभूषण के रूप में उल्लिखित किया यह पैर में पहना जाने वाला स्त्रियों का एक अलंकार था । हितोपदेश में नूपुर का पैर का आभूषण बताया गया है । 101 आदिपुराण में मणिनूपुर का उल्लेख है । 1 ॥ नृपुर को राजस्थान में नेवरी कहा जाता था । 103 हर्षचरित में भी नपुर को स्त्रियों का आभूषण बताया गया है । 104 जिसे वे पैर में धारण करती थीं।
-यह रत्नों की बनी हुई माला होती थी जिसे राजघरानों की स्त्रियां
ही धारण करती थीं | 108 रत्नावली का उल्लेख भगवती सूत्र 100 में तथा आदिपुराण में आया है। रत्नावली में नाना प्रकार के रत्न गूथे जाते थे और मध्य में एक बड़ी मणि जटित रहती थी ।
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हार-समराइचका में हार का उल्लेख गले में धारण किया जाने वाला आभूषण था रूपों में किया है यथा-हार, 100 हारशेखर, 110 म्हार 118 आदि । आदि पुराण में एक सौ लेख है। 214
कई बार किया गया है । 108 यह कालिदास ने हार का उल्लेख कई हारयष्टि, 111 तारहार 118 तथा आठ मुक्ता लड़ियों से युक्त हार का
कथा
प्रसंग में
एकावली --समराइच्चकहा में इसका उल्लेख आया है । 115 मोतियों की एक लदी की माला को एकावली कहा गया है जो मोतियों को घने रूप मे गूंथ कर बनायी जाती थी। अमरकोप में एकावली को मोतीयों की इकहरी माला कहा गया है। 120 गुप्तकाल में एकावली सभी आभूषणों से अधिक प्रिय थी । बासुदेवशरण अग्रवाल के अनुसार गुप्त कालीन शिल्प की मूर्तियों और चित्रों में इन्द्रनील की भव्य गुरिया सहित मोतियों की एकावली पायी जाती है, यह घने मोतियों को गूंथ कर बनायी जाती थी । 117 यशस्तिलक के उल्लेख से पता चलता है कि उज्वल मोती को मध्यमणि के रूप में लगाकर एकावली का प्रयोग किया जाता था 1115
मणिमाला - समराहच्च कहा में इसका उल्लेख कई बार किया गया है । "" यह स्त्रियों का आभूषण था जिसे मेखला अर्थात् कमर में पहने जाने के कारण मेखला