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________________ मिनकू यादव धारण किया जाता था । * यशस्तिलक में उल्लिखित है कि मुनिकुमार युगल, शरीर की शुभप्रभा के कारण ऐसे प्रतीत होते थे जैसे उन्हों ने दुकूल का उत्तरीय ओद रा हो ।" आगे इसी मन्थ में उल्लिखित है कि कुमार यशोधर के राज्याभिषेक का free for जो ज्योतिषी इकट्ठे हुए थे वे दुकूल के उत्तरीय से अपना मुंर के थे | अमरकोष में उत्तरीय को ओढनेवाला वस्त्र बनाया गया है ।" और हर्षरत में दुकूल के बने उत्तरीय का उल्लेख है । 58 हर्पचरित मेंद्र के भी उत्तरीय का उल्लेख मिलता है । " इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि उनका प्रयोग कमर से उपर ओढने के लिये होता था । यह fafe fare का होना था । ४ यह भेड बकरी के बाल से तैयार किया जाने वाला वस्त्र था जो ओढने के लिये युक्त होता था । कम्बल का प्रचीनतम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है ।" आदिपुरा में भी इस वस्त्र का नाम आया है ।"" ह्वेनसांग के अनुसार यह भेड़, बकरी के ऊन मे निर्मित किया जाता था और मुलायम तथा सुन्दर होता था 108 5 एक मोटा और मजबूत किस्म का कपड़ा होता था । समराइच्चकहा मेलालेख है जिससे पता चलता है कि यह एक मोटा तथा मजबूत कपड़ा रहा होगा जो दूरी, गलीचा तथा तम्बू आदि बनाने के काम में आता था । भगवती सूत्र में भी चल का उल्लेख है जिसे साधारण लोग अथवा साधु-संन्यासी धारण करते थे 100 नलाइन-ममराइच्चका में मणि-रत्नों से जटित एक प्रकार का वस्त्र बताया गया है जिसका प्रयोग राजघरानों की स्त्रियां करती थीं ।" यहां इसका व्यवहार बक्ष बन्धनी के रूप में किया गया है। वैदिक काल में आर्य स्त्रियां स्तनपट्ट धारण करती थीं । गुप्तकाल में भी उस समय के सिक्कों पर स्तन-पट्ट धारण की हुई स्त्रियों के चित्र अंकित हैं । आदिपुराण में स्तनांशुक शब्द का उल्लेख मिलता है । 10 सम्भवन यह एक रेशमी वस्त्र का टुकडा होता था जिसे स्त्रियां वक्षस्थल पर सामने से लेकर पीछे पीठ की ओर बांधती थीं । समराइच्चकहा में इसे मणि रत्नों से युक्त बताया गया है जो सौंदर्यवृद्धि के लिए जटित किये गये जान पड़ते हैं । गन्ती स्थान " 1. समराइच्चकहा में इसे रखकर आराम से बैठने के लिए प्रयुक्त समझा गया है। सम्भवतः यह गोल तकिया की तरह का होता था जिस पर बैठने से आराम होता था । असंगणिका. यह एक प्रकार की लम्बी तकिया होती थी जिसका प्रयोग सोते समय किया जाता था। आभूषण इरिभद्र कालीन समाज के लोग विविध प्रकार के आभूषणों का प्रयोग करते थे ।
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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