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________________ ७५ कृष्णकुमार दीक्षित थवानी प्रक्रिया निर्जरा कहेवाती. बां न कर्मद्रव्यने दूर कर्या सिवाय मोक्ष थई शकतो नथी एवं मनातुं हतुं एटले एवी समजण सदाय रही हती के साधुनो आचार पुष्कळ निर्जरा करे छे; परंतु धीमे धीमे वखत जता भारपूर्वक कहेवावा लाग्य के साधुए (के अन्य व्यक्तिए) करेलं तप न आ पुष्कळ निर्जरानो उपाय छ - आ जातनी निज नो पूर्वकृत्यनां फळभोगने परिणामे थती सामान्य प्रकारनी निर्जराथी भेद करवामां भाग्यो. नवतत्त्वासद्धान्तमा सवर उपरांत निर्जराने स्वीकारवामा आवी कारण के मही निर्जराथी अभिप्रेत हती पेली तप द्वारा थती पुष्कळ निर्जरा अने संवरथी अभिप्रेत हतो साधुना आदर्श माचारथी (मने तपथीय) थतो नवां कर्मद्रव्यना सचयनो-आस्त्रबनो-निरोध. उमास्वातिना ९.२ अने ९.३ सूत्रो पाछळ आ समज रहेली छे. सूत्र ९.२ साधुना ते आचारो गणावे छे जे सवरना उपायभूत छे भने सूत्र ९.३ (जुओ ८.२४ पण) तपने विशे जणावे छे के ते निर्जरा पण करे छे. हकीकतना आ पासा उपर केटलाक सैद्धान्तिकाए एटलो बधो भार आप्यो के तेओ मोक्षमार्गना घटक तराके केवळ सम्यक् दर्शन, सम्यक्ज्ञान अने सम्यक्चारित्रने ज नहि पण तपनेय गणवानी हदे गया- (उदाहरणार्थ,) मा मत उत्तराध्ययनना विरल (अने उत्तरकालीन जणातो) रचनाओमां स्थान धरावता तेम ज नवतत्त्वसिद्धान्तने स्थान आपता २८मा अध्ययनमा स्वीकारवामा आन्यो छे आपणे जोयुं तेम, आ मननो स्वीकार उमास्वातिए कयों नथो वधारामां, उमास्वातिए नवतत्त्वसिद्धान्तमां पण सुधारो कयों छे. तेमने पोताने लाग्यु हो, जोईऐ के जो आनव बंधन कारण होय, पुण्य शुभ बंधनु कारण होय अने पान अशुभ बंधनुं कारण होय तो पुण्य भने पाप आस्रवना अवान्तर मेदो न होवा जोईए, तेथो तेमणे नवतत्त्वना सिद्धान्ते स्वीकारेल तत्त्वोनी सूचीमाथी पुण्य अने पापने पडतां मूक्यां बाचारविषयक मूळभूत तत्वोनो संख्या सातमांथो पांच करवामां ज उमास्वातिनुं कार्य समाप्त थई जतु न हाँ, ते तो केवळ शरूमात हतो. तेमनुं खरं काम तो आसव, बन्ध, सवर, निर्जरा भने मोक्ष आ पांच तत्त्वोना चोकठामा वारसागत आचारविषयक जूनी अने नवी चर्चाओने गोठववान हतुं. तेमणे ते काम केवी रीते पार पाडयु ते आपणे माटे झीणवटभर्या अभ्यासने पात्र छे. ___शरूमातथी ज जैन प्रथकारो संसारचक्रमा मानवना बन्धन कारण अनेक दुष्ट क्रियामओ एवं कहेता आल्या हता. वखत जतां मा क्रियाओनो विविधप्रकारे सूचीओ तैयार थई, अने अमुक एक संदर्भमा एक सूची प्रधानपणे रजू करवामां
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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